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धार्मिक स्थलों पर लगा प्रतिबंध, फूल व प्रसाद का व्यवसाय प्रभावित

बगहा । सावन के महीने में नगर में सबसे अधिक भीड़ नीलकंठ नर्मदेश्वर महादेव मंदिर के साथ सबुनी पोखर पर स्थित देवी स्थान पर जुटती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 11:13 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 11:13 PM (IST)
धार्मिक स्थलों पर लगा प्रतिबंध, फूल व प्रसाद का व्यवसाय प्रभावित
धार्मिक स्थलों पर लगा प्रतिबंध, फूल व प्रसाद का व्यवसाय प्रभावित

बगहा । सावन के महीने में नगर में सबसे अधिक भीड़ नीलकंठ नर्मदेश्वर महादेव मंदिर के साथ सबुनी पोखर पर स्थित देवी स्थान पर जुटती है। जिसमें बम कांवरियों के साथ हीं भक्त श्रद्धालुओं की संख्या भी हजारों में होती है। इस स्थल पर फूल व प्रसाद की सबसे अधिक बिक्री होती है। इस व्यवसाय से जुड़े दर्जनों लोगों का परिवार सावन माह का इंतजार करता है। पर, बीते दो साल से कोरोना व लॉकडाउन के कारण धार्मिक स्थलों पर प्रतिबंध है। बम कांवरियों के कांवर यात्रा पर रोक है। जिसके कारण यह व्यवसाय व इससे जुड़े कारोबारी काफी प्रभावित हुए हैं। रविवार से सावन का आरंभ हो चुका है। पर, मंदिरों पर रौनक नहीं लौटी है। गुलजार रहने वाले मंदिर परिसर में सन्नाटा पसरा है। ऐसे में फूल व प्रसाद की बिक्री व खरीद दोनों प्रभावित है। हालांकि शिवालय व देवी स्थलों पर लगने वाले फूल व प्रसाद की दुकाने पक्की नहीं है। ये खुले में अपने धंधा को मंदिर परिसर में संचालित करते हैं। इनको कोई भाड़ा तो, नहीं देना पड़ता है। पर, सावन में बिक्री के अनुसार कुछ रकम मंदिर पूजा समिति को देना पड़ता है। मंदिर समिति का कहना है कि नीचे रखकर फूल बेचने वालों से कुछ नहीं लिया जाता है। पर, ठेला रेहड़ी लगाने वाले फल व प्रसाद के विक्रेताओं से सावन में भीड़ व दुकान के बिक्री के आधार पर कुछ रकम ली जाती है। -------------------- कहते हैं फूल, फल व प्रसाद विक्रेता -------------------- पासपत भगत और उनके भाई सावन व अन्य अवसरों पर मंदिर में फूल बेचने का धंधा करते हैं। कहते हैं कि सावन में प्रतिदिन अच्छी बिक्री होती है। शुक्रवार व सोमवार को इसमें और अधिक इजाफा होता है। पर, दो सालों से कारोबार ठप है। वहीं सुरेश माली भी मंदिर पर फूल का काम करते हैं। कहते हैं कि कोरोना के कारण कारोबार चौपट हो गया है। अन्य दिनों में भी कुछ बिक्री हो जाती थी। पर, अब यह भी नहीं होता है। अब इस धंधे से मन उचट रहा है। बच्चे तो यह काम करना हीं नहीं चाहते हैं। कुछ ऐसा हीं हाल फल व प्रसाद के विक्रेताओं का भी है। ---------------- कहते हैं कारोबारी ---------------- शादी विवाह में वाहनों को सजाना हो, बाजार में फूल का धंधा हो या दुल्हा दुल्हन का सेज सजाना। सभी कार्य कोरोना व लॉकडाउन से प्रभावित है। लोग सादे समारोह में हीं सबकुछ निबटा रहे हैं। वहीं धार्मिक स्थलों पर भी रोक है। जिससे यह कारोबार दो सालों से बिल्कुल मंदा चल रहा है। त्रिवेणी गुप्ता, फूल के कारोबारी

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