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नेताजी के बिगड़े बोल, शहरी पार्षदों का हल्ला बोल---

बगहा । कुछ दिन पहले नगर में गोलीबारी व लूटकांड के शिकार व्यवसायी से मिलने पहुंचे एक नेताजी के बोल बिगड़ गए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 10:17 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 10:17 PM (IST)
नेताजी के बिगड़े बोल, शहरी पार्षदों का हल्ला बोल---

बगहा ।

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कुछ दिन पहले नगर में गोलीबारी व लूटकांड के शिकार व्यवसायी से मिलने पहुंचे एक नेताजी के बोल बिगड़ गए। उन्होंने ताव में आकर शहरी पार्षदों समेत अन्य जन प्रतिनिधियों को आड़े हाथों लिया। यहां तक कि बिजली विभाग को भी उन्होंने इस कांड का पार्टी माना। चर्चा सार्वजनिक स्थल पर हुई, सो थोड़ी देर में ही सरेआम हो गई। पार्षदों को नेता जी का बयान काफी नागवार गुजरा। जो कोर्ट कचहरी तक जाने की तैयारी शुरू हो गई। आननफानन में नोटिस भेजकर नेताजी को अपनी बात वापस लेने अन्यथा कार्रवाई के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी गई। अब नेताजी इंटरनेट मीडिया पर सफाई देते फिर रहे हैं। उधर, नेतागिरी के इस अंधी दौड़ में जनता तमाशबीन बनी बैठी है। शायद पहली बार ऐसा हुआ है। अन्यथा तमाशबीन तो अमूमन नेताजी ही रहते हैं..। कालाबाजारी की आदत, कब कसेगा कानून का शिकंजा :-

गरीबों के लिए भेजा जाने वाला राशन गरीबों के बजाय साहूकारों के गोदामों तक पहुंचने से रोकने के लिए किए गए तमाम सरकारी इंतजाम और दावे बार-बार दम तोड़ते नजर आते हैं। राशन माफिया के पास हर सिस्टम की काट है। कुछ दिन पहले एसडीएम ने ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर संदेश दिया था कि अब गड़बड़ी मिली तो बख्शे नहीं जाएंगे। कुछ दिन तो खौफ रहा। लेकिन ऐसे लोग एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। गोदाम को जाने वाले रास्ते में गड्ढे का हवाला देकर खाद्यान्न की आपूर्ति के लिए अधिकृत व्यक्ति ने मुंह मोड़ लिया है। लेकिन, आपूर्ति बाधित होने की वजह दरअसल, उसकी गड़बड़ी को सरेआम किया जाना है। गोदाम तक पहुंचने से पहले कई क्विटल खाद्यान्न कालाबाजार पहुंच जाता है। मामला पकड़ में आया है, अब जरूरत है कि गड़बड़ी करने वाले पर कानून का शिकंजा कसे। एक का पटाक्षेप नहीं, दूसरी घटना ने बढ़ाई चुनौती :-

पुलिस के एक बड़े अधिकारी इन दिनों परेशानी में हैं। वजह एक लूट की घटना का पर्दाफाश होता नहीं दूसरी हो जाती। कुछ दिन पहले हुई लूट व हत्या की घटनाओं के पर्दाफाश के लिए अधिकारी ने क्राइम मीटिग में थानेदारों की खिचाई की। लेकिन, उसका कुछ खासा असर नहीं पड़ा। लोग दबी जुबान यह भी स्वीकार करने लगे हैं कि अपराध नियंत्रण न होने की बड़ी वजह कुछ थाना प्रभारियों का अनियंत्रित हो जाना है। कुछ थानेदार तो अपने ही एजेंडा पर काम करते हैं।अधिकारियों की बात सुनते जरूर। लेकिन, करते अपनी वाली। जिम्मेदार को चिता नहीं, यात्री परेशान :-

यात्री पैसेंजर ट्रेन चलने की मांग कर रहे हैं। लेकिन, यहां के जिम्मेदारों को रत्ती पर भी चिता नहीं है।कोरोना काल में एक पैसेंजर ट्रेन गोरखपुर से नरकटियागंज के लिए चल रही है। लेकिन, एक ही पैसेंजर ट्रेन के चलने से यात्रियों के सामने समस्या है। यात्री लगातार इंटरनेट मीडिया व अन्य माध्यमों से मांग कर रहे हैं। यदि आप कभी आधी रात के बाद रेलवे स्टेशन पहुंच गए। बिजली नहीं हो तो आपको अंधेरे में ही स्टेशन पर रहना पड़ेगा। लाखों रुपये का राजस्व लेने वाले जिम्मेदारों को इससे कोई मतलब नहीं। जेनरेटर में डीजल के नाम पर हजारों रुपये खर्च का दावा किया जाता है।


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