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बच्ची गोद लेने बेतिया पहुंचे अमेरिकी दंपती

शहर के बानुछापर स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान की चर्चा एक बार फिर ग्लोबल स्तर पर होने लगी है। यहां रह रहे बेनाम मासूमों को अब तक कई विदेशी दंपतियों ने गोद लिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 12:16 AM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 12:16 AM (IST)
बच्ची गोद लेने बेतिया पहुंचे अमेरिकी दंपती
बच्ची गोद लेने बेतिया पहुंचे अमेरिकी दंपती

बेतिया । शहर के बानुछापर स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान की चर्चा एक बार फिर ग्लोबल स्तर पर होने लगी है। यहां रह रहे बेनाम मासूमों को अब तक कई विदेशी दंपतियों ने गोद लिया है। विदेशी दंपत्तियों ने कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अपने साथ बच्चों को सदा के लिए अपने यहां ले गए हैं और उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हो रही है। सभी तरह की कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अब तक लग्जमवर्ग, अमेरिका, इटली और स्पेन के दंपती कानूनी रूप से माता पिता बकर बेतिया आकर बच्चे को ले गए हैं। इधर कानूनी प्रक्रिया को पूरी करने के बाद अमेरिकी दंपत्ति जेम्स केबिन फोस्टर अमेनिया लाउरेल फोस्टर बुधवार को विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान पहुंचे, जहां अपनी बच्ची से मिलकर खुशी का इजहार किया। हालांकि मासूम बच्ची दिव्यांग भी है, बावजूद इसके निसंतान दंपत्ति अपनी बेटी को पाकर फूले नहीं समा रहे हैं। बच्ची के गोद लेने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक अभय कुमार ने बताया कि परिवार न्यायालय की ओर से उन्हें एक सप्ताह का समय दिया गया है। अब तक इटली से क्रिश्चन कार्फोरा अपनी पत्नी एनालिसा फ्लंगा, स्पेन से जोश मिगेल जालदीबाग बेला मेंडिया व पत्नी मारिया जेसस टीनीला, लग्जमवर्ग से जी मार्टिन स्टोफेल अपनी पत्नी शारा गजाला हेलेन लोगो तथा अमेरिका से विदेशी दंपत्ति अपने-अपने बच्चियों को लेकर संतानहीनता से मुक्ति पाई है। इसमें स्पेन के दंपत्ति अपने साथ दो बच्चों को ले गए हैँ। इसमें दो संगे भाई और बहन शामिल हैं।

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गोद लेने के लिए विदेशी दंपती की कानूनी प्रक्रिया

कोई विदेशी दंपत्ति यदि विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान से गोद लेते हैं, तो उसके लिए उन्हें भी सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी(कारा) को ऑन लाइन आवेदन देना होता है, लेकिन उनके आवेदन देने से लेकर बच्चों के गोद लेने की अंतिम प्रक्रिया को पूरी करने में संबंधित देश के अफ्फा(ऑथोराइज्ड फारेन एडाप्शन एजेंसी) की भी भूमिका रहती है। इसके अलावा संबंधित देश के दूतावास के माध्यम से शेष काम पूरा किया जाता है, लेकिन परिवार न्यायालय में उन्हें भी आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होती है। इसके अलावा उनके देश का अफ्फा दिल्ली के सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी के विदेशी प्रभाग को प्रत्येक छह माह में यह बताना पड़ता है कि उनके देश से जिस बच्चे का गोद लिया गया है, वह ठीक ढ़ंग से है। यह प्रक्रिया दो वर्ष तक चलानी होती है। यदि किसी कारण वश संबंधित दंपत्ति उस बच्चा को नहीं रखना चाहता है, तो वह बच्चा उसी देश का नागरिक माना जाएगा, जहां उसे ले जाया गया है। बच्चे को विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान से ले जाने के बाद उसे पासपोर्ट एवं आयु प्रमाण पत्र भी बनवाया जाता है।


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