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एंबुलेंस खराब, भगवान भरोसे जिदगी

अनुमंडल अस्पताल में चिकित्सक व संसाधन की कमी के कारण के अक्सर मरीजों को रेफर करना प्रबंधन की मजबूरी बन गई है। आलम तो यह है कि अस्पताल की एकमात्र एंबुलेंस की भी हालत खराब है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 May 2019 12:13 AM (IST)Updated: Tue, 14 May 2019 12:13 AM (IST)
एंबुलेंस खराब, भगवान भरोसे जिदगी
एंबुलेंस खराब, भगवान भरोसे जिदगी

बगहा । अनुमंडल अस्पताल में चिकित्सक व संसाधन की कमी के कारण के अक्सर मरीजों को रेफर करना प्रबंधन की मजबूरी बन गई है। आलम तो यह है कि अस्पताल की एकमात्र एंबुलेंस की भी हालत खराब है। आपातकालीन स्थिति में भी जब दो-चार लोग मिलकर एक साथ धक्का लगाते हैं, तब कहीं एंबुलेंस स्टार्ट हो पाती है। खराब एंबुलेंस की वजह से लोगों की जिदगी भगवान भरोसे रहती है।

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अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता का का ही परिणाम है कि आवश्यक संसाधन रहने के बावजूद इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाता है। कभी- कभी ऐसी नौबत आती है कि रेफर किए जाने पर मरीज को लेकर बेतिया जा रही एंबुलेंस रास्ते में ही बंद हो जाती है। इस स्थिति में चालक भी असहाय होकर मदद के लिए आसपास झांकने लगता है। जब तक कुछ राहगीर मदद को तैयार नहीं हो, तब तक एंबुलेंस स्टार्ट कर पाना असंभव प्रतीत होता है। इस बीच मरीज का दम घुटने लगता है। जबकि अस्पताल तक पहुंचने की जल्दी होती है। ऐसे में इस एंबुलेंस से जिदगी कितनी सुरक्षित है, सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। दरअसल, सोमवार की सुबह अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सक डॉ. केबीएन. सिंह ने एक महिला को सुरक्षित प्रसव के लिए सदर अस्पताल रेफर किया। महिला और उसके परिजन एंबुलेंस में बैठ गए। चालक एंबुलेंस को बार-बार स्टार्ट करने का प्रयास करता रहा। एंबुलेंस स्टार्ट नहीं हुई। इसके बाद आस पास के लोगों को चालक ने बुलाया और धक्का मारने के बाद एंबुलेंस स्टार्ट हो सकी। एंबुलेंस की यह स्थिति पिछले कई दिनों से है। इसकी मरम्मत कराने के लिए प्रबंधन ने संबंधित स्वयंसेवी संस्था को मौखिक व लिखित निर्देश भी दिया है। बावजूद इसके कोई सुधार नहीं है। बता दें कि सम्मान फाउंडेशन व पशुपति स्वयंसेवी संस्था द्वारा अनुमंडल अस्पताल में एंबुलेंस का संचालन किया जाता है। फिलवक्त तीन एंबुलेंस हैं। इसमें एक एचपीसीएल की एंबुलेंस को धक्का देकर स्टार्ट किया जाता है। दूसरी एंबुलेंस करीब एक साल से पटना में दुर्घटना के उपरांत मरम्मत के लिए गैरेज में जाकर खड़ी है। अब एक मात्र एंबुलेंस बची है, जिससे कुछ उम्मीद की जा सकती है। लेकिन, दो जगहों पर एक समय में पहुंच पाना भी आसान नहीं है। चाहे परिस्थिति कितनी ही नाजुक क्यों न हो।

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बयान :

एंबुलेंस में तकनीकी खराबी की सूचना मिली थी। चुनाव को लेकर उसे ठीक कराया जाना संभव नहीं था। शीघ्र ही एंबुलेंस की खराबी ठीक कराई जाएगी। पटना में एक एंबुलेंस बन कर तैयार है। दो सप्ताह के अंदर वह भी अस्पताल में आ जाएगी।

-- शमशेर आलम, एसीओ, स्वयंसेवी संस्था, सम्मान फाउंडेशन व पशुपति

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