बथान में फन उठाए घूम रहा था 13 फीट का किग कोबरा, जान बचाकर भागे लोग
बगहा। घंटों की मेहनत के बाद आखिरकार वनकर्मियों ने विशालकाय किग कोबरा को पकड़ने मे
बगहा। घंटों की मेहनत के बाद आखिरकार वनकर्मियों ने विशालकाय किग कोबरा को पकड़ने में कामयाबी हासिल कर ली। वाल्मीकिनगर थाना क्षेत्र ई टाइप कालोनी निवासी सत्यनारायण पटेल के झोपड़ी से वनकर्मियों ने 13 फीट लंबे किग कोबरा को पकड़ कर जंगल में छोड़ दिया। रविवार की सुबह सत्यनारायण पटेल के परिवार के सदस्यों की सांसें तब अटक गई, जब उनके पशु बथान में फन उठाए किग कोबरा दिखाई दिया। घरवालों ने किसी तरह घर से भाग कर जान बचाई। गृह स्वामी ने बताया कि सुबह करीब आठ बजे एक किग कोबरा उनके घर में घुस आया था। उन्होंने वन विभाग को इसकी सूचना दी। जिसके बाद खतरनाक सांपों को पकड़ने वाले वनकर्मी मौके पर पहुंचे। करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उन्होंने इस विशेष प्रजाति के 13 फीट लंबे किग कोबरा को काबू में किया। इस बावत रेंजर महेश प्रसाद ने बताया कि यह किग कोबरा की एक विशेष प्रजाति है, जो बेहद खतरनाक होती है। अब तक आधा दर्जन किग कोबरा का रेस्क्यू किया गया है। कयास लगाया जा रहा है कि पूर्व में पकड़े गए किग कोबरा का यह जोड़ा हो सकता है। जानकारों की मानें तो कोबरा के पास करीब 500 मिलीग्राम जहर की मात्रा होती है, इनके काटने से एक हाथी की भी मौत हो सकती है। कोबरा भी अन्य सांपों की तरह घोंसले बनाते हैं और उनमें अपने अंडे देते हैं और अपने अंडों की रक्षा करते हैं। वहीं कोबरा कई दिनों या महीनों तक बिना भोजन के रह सकते हैं। एक बार भर पेट भोजन करने के बाद किग कोबरा करीब दो साल तक जीवित रह सकता है।इनका जहर अगर आंखों में चला जाए तो सही इलाज ना मिलने से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। इनका जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है। इसका जहर सीधे तंत्रिका तंत्र पर असर करता है, जिससे शरीर में गंभीर दर्द होता है। सही समय पर इलाज न मिलने पर व्यक्ति कोमा में चला जाता है और फिर जल्द ही उसकी मौत हो जाती है। मौके पर वनकर्मी मुद्रिका यादव, गजेन्द्र सिंह, सौरभ श्रीवास्तव, प्रकाश, नीरज आदि मौजूद थे।