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आठवीं की छात्रा ने बताया-भारत की राजधानी पटना

बेतिया। लौरिया प्रखंड मुख्यालय स्थित राजकीय मध्य विद्यालय लौरिया कन्या है। प्रधानाध्यापक सहित दस शिक

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 01:18 AM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 01:18 AM (IST)
आठवीं की छात्रा ने बताया-भारत की राजधानी पटना
आठवीं की छात्रा ने बताया-भारत की राजधानी पटना

बेतिया। लौरिया प्रखंड मुख्यालय स्थित राजकीय मध्य विद्यालय लौरिया कन्या है। प्रधानाध्यापक सहित दस शिक्षक सात सौ दस छात्राओं के भविष्य बनाने में लगे हैं। वर्ग छह-सात एवं आठ की ऐसी स्थिति है कि जो छात्रा देर से पहुंचे उन्हें वर्ग कक्ष के बाहर जमीन पर बैठने को मजबूर होना पड़ता हैं। ग्यारह बजे हैं। जागरण टीम सबसे पहले आठवें वर्ग में पहुंचती है। हिन्दी विषय का वर्ग चल रहा है। खेल शिक्षक विजय कुमार ओझा हिन्दी का क्लास चला रहे हैं। कुछ लड़कियां वर्ग में तो कुछ वर्ग के बाहर जमीन पर बैठकर पढ़ रही हैं। विद्यालय की एक छात्रा से प्रश्न किया जाता है तुम किस देश में रहती हो? जबाब मिलता है भारत में। फिर भारत की राजधानी पूछी जाती है तो वह पटना बताती है। फिर उसी लड़की को ब्लैकबोर्ड पर अपने पिता का नाम व बेतिया अंग्रेजी में लिखने के लिए कहा जाता है, लेकिन लड़की सही-सही नहीं लिख पातीं। अब दूसरी लड़की ज्योति को बुलाया जाता है। उससे भी कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं? कुछ का जवाब वह सही देती है। तीसरी लड़की बोर्ड पर आती है वह मुंशी प्रेमचंद नहीं लिख पातीं। यह तब स्थिति है जब सरकार की ओर से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही है। मगर, धरातल पर यह स्थिति गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के दावे व कोशिशों को मुंह चिढ़ाती नजर आ रही है।

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सर, पांच दिन पहले तो किताब मिली है कब पढ़ेंगे

अभियान के दौरान कुछ लड़कियां दैनिक जागरण की टीम से उलाहना देने लगती हैं कि सर हम लोग मध्याह्न भोजन खाने नहीं, पढ़ने आते हैं, लेकिन कैसे पढ़े। पांच दिन पहले तो सभी लड़कियों को किताब मिली है। उसमें भी भूगोल और हिन्दी की किताब नहीं मिली है। हिन्दी और अंग्रेजी का वर्ग संचालन तो नियमित होता है। जबकि, अंग्रेजी का महीना में एक-दो बार की कक्षा लगती है। जबकि बाकी किसी विषय की पढ़ाई होती ही नहीं है। हमलोग अपने से नहीं पढ़े तो जो बताया है वह भी नहीं बता पाते।

दस की जगह मात्र सात शिक्षक कार्यरत

विद्यालय के प्रधानाध्यापक अबुल कलाम ने बताया कि आज दस शिक्षकों में मात्र सात उपस्थित हैं। एक क्षतिपूíत अवकाश, एक चिकित्सा अवकाश पर हैं जबकि एक कुमारबाग में दो वर्षीय डायट की ट्रे¨नग पर हैं। उन्होंने बताया कि वर्ग छह में 212 छात्राएं हैं, सात में 177 एवं आठ में 181 छात्राएं नामांकित हैं। एक से आठ वर्ग चलता है। दस शिक्षकों में एक दो प्रतिदिन छुट्टी पर रहते है। विषयवार शिक्षक नहीं ऐसे में हम क्या कर सकते हैं? छात्राओं के पुस्तक के बारे में उन्होंने बताया कि हमने दो अक्टूबर से प्रभार लिया है। यहां बता दें कि मध्य विद्यालय कन्या इस प्रखंड का पहला विद्यालय है, जहां छात्राओं को खाने के लिए एचपीसीएल ने अलग से भवन बनवाया है। यह प्रखंड मुख्यालय में अवस्थित है, लेकिन जब यहां की बच्चियां अपने राज्य व देश की राजधानी का नाम नहीं बता पाती तो सुदूर देहात के विद्यालयों की स्थिति का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।


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