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दिव्यांगता को दी मात, पैर से करता है हाथ का काम, जानिए

छठी क्‍लास में पढ़ने वाला अर्जुन दिव्‍यांग है, लेकिन उसके हौंसले बुलंद हैं। वह अपने पैर से ही हाथ का काम करता है। आगे चलकर शिक्षक बनना चाहता है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sun, 27 May 2018 03:39 PM (IST)Updated: Sun, 27 May 2018 11:09 PM (IST)
दिव्यांगता को दी मात, पैर से करता है हाथ का काम, जानिए
दिव्यांगता को दी मात, पैर से करता है हाथ का काम, जानिए

पश्चिमी चंपारण [प्रभात मिश्र]। जन्मजात दोनों हाथों से दिव्यांग। मगर हौसला बुलंद। आगे बढऩे की ललक और पढ़ाई में दिलचस्पी से सभी हैरान। वह पैर से ही हाथ का काम करता है। नाम है अर्जुन कुमार और उम्र 12 वर्ष। कामयाबी की राह पर चलने को आतुर है। थारू जनजाति बाहुल्य गौनाहा प्रखंड के कैरी का निवासी है। वह बोटगांव राजकीय मध्य विद्यालय में छठी कक्षा का छात्र है।

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तीन साल पहले सिर से पिता नरेश महतो का साया भी छिन गया। अब मां संतोषी देवी के लिए अर्जुन ही सहारा है। उसे अब तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिली। लेकिन, खुशी बात है कि हाल में यहां आए सीएम की नजर पड़ी तो मदद की आस बंधी है।

खुद को हीन नहीं समझता

उसकी खासियत है किसामान्य बच्चों के बीच रहकर भी खुद को हीन समझता। पढ़ाई लिखाई में सामान्य होने के बावजूद लगनशील है। शिक्षक बनना चाहता है।

पहले अभ्यास किया

दिव्यांग अर्जुन ने कुछ साल पहले अभ्यास किया। फिर पैर से हाथ का काम लेने लगा। शुरू में कठिनाई हुई। मगर अब लिखते समय पैर का इस्तेमाल करता है। खाना भी पैर की मदद से ही खाता है।

मुख्यमंत्री से मिला तो बंधी आस

गत 22 मई को थारू महोत्सव में भाग लेने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बगहा आए थे। अगले दिन यानी 23 मई को सोफा मंदिर पूजा करने पहुंचे। वहां अर्जुन भी मां के साथ पहुंचा। सामने खड़े अर्जुन का जज्बा देखकर सीएम भी दंग रह गए। उसकी मां ने सीएम से कहा कि दिव्यांग बेटे को कोई सहायता नहीं मिली है। सीएम ने फौरन डीएम को सहायता दिलाने का निर्देश दिया। आस बंधी और खुश होकर मां -बेटे वहां से गांव लौट गए।

विभाग से अब तक कोई सहयोग नहीं मिला है। संघर्ष के बल पर अर्जुन शिक्षकों का भी चहेता है। कभी -कभी शिक्षक तो उसे अपने हाथों से भी खिलाते हैं।
ओमप्रकाश प्रसाद, प्रधान शिक्षक,   राजकीय मध्य विद्यालय, बोटगांव 

सीएम का आदेश मिला है। मैं दिव्यांग छात्र के घर जाऊंगा। हर संभव सहायता दी जाएगी। ताकि, वह पढ़ लिखकर आगे बढ़ सके।
श्रीकांत ठाकुर 
बीडीओ, गौनाहा ( प. चंपारण)


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