हर चेहरा यहां चांद है, हर जर्रा है सितारा..
ये वादी-ए-कश्मीर है, जन्नत का नजारा। हर चेहरा यहां चांद है, हर जर्रा है सितारा..।
वैशाली। ये वादी-ए-कश्मीर है, जन्नत का नजारा। हर चेहरा यहां चांद है, हर जर्रा है सितारा..। गीत के इन पंक्तियों की हकीकत से रूबरू होना हो, तो विश्वविख्यात हरिहर क्षेत्र मेला ऊनी वस्त्रों के बाजार में आइए। नखास से चंद कदम आगे बढ़ते ही आपको श्रीनगर से लेकर जम्मू-कश्मीर के अनेक रवायतों व संस्कृति का दीदार होगा। धरती का स्वर्ग माने जाने वाला जम्मू-कश्मीर रह-रह कर परिस्थितियों के कारण सुर्खियों में रहा हो, लेकिन इन समस्याओं से इतर यहां के व्यवसायी इस मेले में जो वस्त्र बिक्री के लिए लाए हैं, उनमें जम्मू-कश्मीर के उन्नत हस्तकला की छाप दिखाई पड़ती है। इस वर्ष भी सड़क के दोनों किनारे कश्मीरियों की कई गर्म कपड़ों की दुकानें सजी हुई हैं। इन दुकानों में कश्मीरी शॉल, कार्डिगन, नाइट गाउन, बंडी तथा एक से बढ़कर एक लेडिज कपड़े मौजूद हैं। इस प्रकार दर्जनों दुकानें आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
इनमें कुछ दुकानें ऐसी हैं, जिनकी तीसरी पीढ़ी मेले में अपना व्यवसाय कर रही है। आपस में ये दुकानदार डोगरी और कश्मीरी भाषा में बात करते हैं। जैसे ही कोई ग्राहक दुकान पर पहुंचता है, वे लोग इस प्रकार ¨हदी में बात करते हैं जैसे वे इसी प्रांत के वासी हों। इनमें कुछ दुकानदार ऐसे हैं, जिनकी दुकानें कुल्लू, लखनऊ, सीतामढ़ी तथा दिल्ली के प्रगति मैदान आदि स्थानों पर लगने वाले मेलों में भी ले जाई जाती हैं। इस मेले में भी ग्राहकों का एक विशेष वर्ग ऐसा आता है जो इन्हीं की दुकानों से गर्म कपड़े लेना पसंद करते हैं। जैसे-जैसे मौसम में तब्दीली के साथ ठंड में बढ़ोत्तरी होती है, वैसे ही इस बाजार में भी ग्राहकों की संख्या बढ़ती जाती है। अगर आप भी ऊनी कपड़े खरीदने की सोच रहे हैं तो एक बार यहां भी घूम सकते हैं।