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विधानसभा में झील के विकास और सड़क के लिए उठाएंगे आवाज

फोटो- 22 एवं 23 -विधायक बोले- बनी हैं योजनाएं सरकारी स्तर से प्रयास जारी पक्की सड़क नहीं होने से झील तक पहुंचने में विशेषकर बरसात के दिनों में होती है ज्यादा परेशानी ------------ -दैनिक जागरण का अभियान को सराहा कहा- प्रकाशित खबरों से बहुत कुछ झील के बारे में जानने को मिला -आसपास के गांवों के लोगों में झील के प्रति बढ़ रही जागरुकता ------------- ------------ -13 जुलाई 2019 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में झील के विकास के लिए लाया गया था प्रस्ताव ------------- विधायक - 24

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 02:00 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 06:13 AM (IST)
विधानसभा में झील के विकास और सड़क के लिए उठाएंगे आवाज
विधानसभा में झील के विकास और सड़क के लिए उठाएंगे आवाज

ब्रजेश, जन्दाहा (वैशाली) :

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आसपास के करीब सौ गांवों के लिए झील का विकास होना बहुत जरूरी है। पर्यावरण संरक्षण के साथ ही पर्यटन की दृष्टि से भी यह जरूरी है। झील के विकास के लिए सरकार ने योजनाएं बनाई हैं। सरकारी स्तर से प्रयास जारी है। झील तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं होने से विशेषकर बरसात के दिनों में काफी दिक्कतें होती हैं। स्थानीय किसानों, मछुआरों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों को भी यहां पहुंचने में परेशानी होती है।

महनार विधानसभा क्षेत्र के जदयू विधायक उमेश कुशवाहा कहते हैं, दैनिक जागरण का संपादकीय अभियान के तहत बरैला झील के बारे में प्रकाशित खबरों से झील के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला है। झील के विकास में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए भरसक प्रयास किया जाएगा। तीन अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में बरैला झील के विकास एवं झील तक सड़क के निर्माण को लेकर आवाज उठाएंगे। दैनिक जागरण के इस अभियान की जितनी सराहना की जाए कम है। इससे जहां लोगों में झील के प्रति जागरुकता आई है, वहीं झील के विकास में आ रही बाधा से वह खुद भी अवगत हुए हैं।

उमेश कुशवाहा बताते हैं, 13 जुलाई 2019 को बिहार विधानमंडल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में जल जीवन हरियाली योजना के तहत बरैला झील के विकास के लिए उनके द्वारा प्रस्ताव लाया गया था। बैठक में झील में चेकडैम, जल संचय एवं संरचनाओं के निर्माण का मुद्दा उठाया गया था। उसके बाद सरकारी स्तर से झील का सर्वे कराया गया और पदाधिकारियों की टीम वहां पहुंची।

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निरीक्षण कर सार्थक पहल करेंगे

विधायक उमेश कुशवाहा कहते हैं, बरैला झील में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन करने की भी सरकार की योजना है। झील को पर्यटन के मैप पर लाने, प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा निश्चित करने सहित अन्य कार्य करने की योजना है। इसके लिए सरकार प्रयत्नशील है। उन्होंने स्वयं झील का निरीक्षण कर झील के विकास को लेकर सार्थक पहल करेंगे।

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स्थानीय लोगों से बात कर

निकालनी होगी सड़क

बरैला झील से सटे लगभग आधा दर्जन गांवों से झील तक सड़क बनाई जा सकती है। ग्रामीण बताते हैं, लोमा, पीरापुर एवं दुलौर से जुड़ी पक्की सड़क के खोरबन्ना नहर के पास से किसानों की निजी भूमि होते डेबटेब होते हुए किसान और मछुआरे आते-जाते हैं। झील किनारे के गांव दुलौर, डीह बुचौली, महिसौर, लोमा, पिरापुर, बिझरौली, यदुनंदनपुर, गौसपुर, सोहरथी एवं नाड़ी खुर्द गांव से झील तक सड़क बनाई जा सकती है। अभी झील के चारों ओर के गांवों से निजी जमीन से झील तक पहुंचने का रास्ता है। बारिश होने पर इन रास्तों से गुजरना मुश्किल हो जाता है। सरकारी स्तर से भूमि अधिग्रहण कर झील तक सड़क बनाने की जरूरत है। इसके लिए स्थानीय लोगों के साथ बैठ कर बातचीत करनी होगी। उन्हें निजी जमीन देने के लिए सहमत करना होगा। झील तक आवाजाही सुलभ होने पर ही आगे का कार्य पूरा हो सकता है।

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फोटो- 18

बरैला झील स्थानीय लोगों के लिए काफी हितकारी है। झील में पर्यटन की अपार संभावना है। झील तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। चांद सराय चौक से भाया महिसौर होते अमठामा गांव तक जर्जर पक्की सड़क है, जो झील तक जाने का सबसे सहज मार्ग है। पक्की सड़क से दो किलोमीटर तक सड़क नहीं है। इसके निर्माण को लेकर सरकारी स्तर से प्रयास करने होंगे। स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा झील के विकास को लेकर कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है।

-रत्नेश कुमार सिंह, मुखिया, महिसौर

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फोटो- 19

रास्ता नहीं होना झील के विकास में सबसे बड़ा बाधक है। इस मामले में जनप्रतिनिधि उदासीन हैं। झील के चारों ओर और बीच से भी सड़क बन जाए तो स्वयं पर्यटक स्थल बन जाएगा। झील के विकास के लिए सरकार को पहल करने की आवश्यकता है। झील के विकास से इलाके का विकास होगा एवं लोगों को रोजगार मिलेंगे।

जय प्रकाश राय, मुखिया, महीपुरा

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फोटो- 20

झील किनारे बसे सोहरथी गांव के लोगों की कृषि योग्य भूमि बरैला झील में है। झील किनारे के अमठामा गांव से आगे झील तक जाने का कोई रास्ता नहीं है। उस गांव से झील की दूरी लगभग दो किलोमीटर है। बरसात के दिनों में स्थानीय किसानों एवं मछुआरों को नाव का सहारा लेना पड़ता है। पूर्व में यह गांव पातेपुर विधानसभा क्षेत्र में था। इसको लेकर पातेपुर के स्थानीय विधायक से कई बार झील तक सड़क को लेकर फरियाद लगाई गई थी, लेकिन उस पर कोई अमल नहीं हो पाया।

रीना कुमारी, मुखिया, सोहरथी

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फोटो- 21

झील के चतुर्दिक विकास में सरकार की पहल अति महत्वपूर्ण है। झील में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। पर्यटन को बढ़ावा के लिए झील तक सड़क होना अति आवश्यक है, लेकिन जनप्रतिनिधियों को झील के प्रति उदासीन रवैया विकास में बाधक है। झील के विकास को लेकर अब तक सरकार द्वारा की गई सभी घोषणाएं हवा हवाई साबित हुई है। अभी तक धरातल कुछ नहीं हुआ है। स्थानीय विधायक एवं सांसद ने झील के विकास को लेकर कोई पहल नहीं की है।

मनीष चौधरी उर्फ पिकू, पैक्स अध्यक्ष, मानसिंहपुर बिझरौली


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