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महामृत्युंजय यज्ञ को ले हुआ इंद्र ध्वजारोहण

जंदाहा प्रखंड के धंधुआ गांव स्थित बाबा गोपाल धाम के प्रांगण में आगामी 28 जुलाई से 26 अगस्त तक प्रस्तावित सवा करोड़ महामृत्युंजय मंत्र जाप महायज्ञ को लेकर शनिवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत इंद्र ध्वजारोहण एवं पंचकोशी निर्धारण का कार्यक्रम हर्षोल्लास एवं धूमधाम से वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ किया गया। बनारस से पधारे विद्वान आचार्य बृजेश पांडे के सानिध्य में इंद्र ध्वजारोहण कराया गया जबकि पीठाधीश्वर श्री 108 जगमोहन झा द्वारा पंचकोशी दिशा बंधन का कार्यक्रम कराया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला पुरुष उपस्थित थे। सभी ने बाबा गोपालजी महाराज के गर्भगृह में भी पूजा अर्चना की।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 11:23 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 11:23 PM (IST)
महामृत्युंजय यज्ञ को ले हुआ इंद्र ध्वजारोहण
महामृत्युंजय यज्ञ को ले हुआ इंद्र ध्वजारोहण

जंदाहा प्रखंड के धंधुआ गांव स्थित बाबा गोपाल धाम के प्रांगण में आगामी 28 जुलाई से 26 अगस्त तक प्रस्तावित सवा करोड़ महामृत्युंजय मंत्र जाप महायज्ञ को लेकर शनिवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत इंद्र ध्वजारोहण एवं पंचकोशी निर्धारण का कार्यक्रम हर्षोल्लास एवं धूमधाम से वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ किया गया। बनारस से पधारे विद्वान आचार्य बृजेश पांडे के सानिध्य में इंद्र ध्वजारोहण कराया गया जबकि पीठाधीश्वर श्री 108 जगमोहन झा द्वारा पंचकोशी दिशा बंधन का कार्यक्रम कराया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला पुरुष उपस्थित थे। सभी ने बाबा गोपालजी महाराज के गर्भगृह में भी पूजा अर्चना की।

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महायज्ञ के मुख्य यजमान अस्मिता परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरनाथ ¨सह, मनोज नाथ ¨सह, सरपंच बाबा बाबू ¨सह, पूर्व मुखिया सुरेश ¨सह, राधास्वामी, अनिल ¨सह, पृथ्वी नाथ झा, सुबोध ¨सह, संजीव कुमार, संतोष ¨सह, सत्येंद्र ¨सह, हरेंद्र ¨सह, पवन ¨सह आदि गणमान्य उपस्थित थे।

बताया गया है कि महायज्ञ में जगन्नाथपुरी पीठ के शंकराचार्य श्रीश्री 1008 निश्चलानंद जी महाराज के साथ-साथ अनंत विभूषित महामंडलेश्वर 1008 स्वामी गजाननजी महाराज एवं साध्वी प्रेमलता गिरी आदि कई महापुरुष शामिल होंगे। वहीं देश के दर्जनों राजनेता एवं प्रशासनिक अधिकारी भी यज्ञ में भाग लेंगे।

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए अस्मिता के राज्य संयोजक अमोद कुमार निराला ने बताया कि गोपाल बाबा द्वारा ¨हदू धर्म रक्षार्थ डोला प्रथा के विरुद्ध सपरिवार समाधि लेना अद्वितीय उदाहरण था। ऐसी महान आत्मा की चरण वंदना एवं दर्शन मात्र से ही आमजनों का कल्याण होता है। इस स्थल पर आने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।


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