सोनपुर मेला: उत्कृष्ट प्रदर्शन से रामायण के पात्रों को जीवंत कर रहे कलाकार
संवाद सहयोगी, सोनपुर: मेला के कोलाहल से दूर अलग धर्म और संस्कृति तथा आचरण का एक अछ्वुत
संवाद सहयोगी, सोनपुर:
मेला के कोलाहल से दूर अलग धर्म और संस्कृति तथा आचरण का एक अछ्वुत ²श्य उभर रहा है। बाबा हरिहरनाथ मंदिर के समीप चल रहे रामायण मंचन में यूपी के सलेमपुर के सांस्कृतिक संगम के कलाकार अपने कला के उत्कृष्ट प्रदर्शन से रामायण के पात्रों को जीवंत कर रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार की शाम स्वर्ण मृग तथा सीता हरण के पहले सूपर्नखा की नाक कटना व सूपर्नखा का रावण को भड़काने के प्रसंग पर कलाकारों ने अपने भाव और संवाद से श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। लक्ष्मण से प्रेम निवेदन करने आई सूपर्नखा का अपमान और उसके बाद इस घटना पर रावण का क्रोध से लाल होना, इसके बाद मारीच को बुलाकर सीता हरण का कुचक्र रचना आदि विषयों पर कलाकारों ने अपने प्रस्तुति से मन मोह लिया। ऐसा लगा जैसे मंच पर रामायण के पात्र साक्षात उतर आए हों। मारीच सोने का मृग बनकर सीता के सामने से गुजरना, उसके बाद सीता का राम से यह जिद्द करना कि यह मृग उन्हें चाहिए। इसके बाद श्रीराम मृग के शिकार के लिए पीछा करते हुए वन में बहुत दूर निकल जाते हैं। इधर साधुवेश धारी रावण भिक्षा के लिए पर्णकुटी में बैठी सीता माता को आवाज लगाता है। भिक्षा देने के लिए सीता माता जैसे ही लक्ष्मण रेखा के बाहर पाव बढ़ाती है रावण उनका हरण कर लेता है। इसके बाद राम और लक्ष्मण का सीता को वन-वन ढूंढना, उधर आकाश मार्ग से सीता को ले जाते हुए रावण के साथ जटायु का युद्ध और उसके बाद युद्ध में घायल हुए जटायु से राम का संवाद पर बड़ा ही मार्मिक चित्रण कलाकारों ने किया। इसके बाद सबरी से श्रीराम संवाद का भी कलाकारों ने उत्कृष्ट चित्रण किया। यहां चल रहा रामायण मंचन समाज को यह संदेश दे रहा है कि आज के भागदौड़ और तनाव भरी ¨जदगी में मात्र रामायण ही है जो आत्मिक शांति और सुख प्रदान कर सकता है। परिवार की एकजुटता, भाइयों में त्याग की भावना ,एक दूसरे के लिए समर्पण और सामाजिक चेतना का विकास एक राजा का प्रजा तथा अपने परिजनों के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए अगर यह जानना है तो रामायण की गहराइयों में जाना होगा। इस रामायण मंचन को देखने यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। शाम ढलते ही इसके लिए बना भव्य पंडाल खचाखच भर जा रहा है।