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सोनपुर मेला में दर्शकों की उमड़ी अपार भीड़

वैशाली। मेले में रविवार को राज्य के विभिन्न जिलों से आए दर्शकों की आपार भीड़। विभिन्न भाषा-

By Edited By: Published: Mon, 30 Nov 2015 03:05 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2015 03:05 AM (IST)

वैशाली। मेले में रविवार को राज्य के विभिन्न जिलों से आए दर्शकों की आपार भीड़। विभिन्न भाषा-भाषी तथा अलग-अलग संस्कृति के दीदार हो रहे थे। एक तरफ जहां लग्जरी वाहनों से मेले में पहुंचने वाले समृद्ध वर्ग के लोगों का तांता लगा हुआ था, वहीं सुदूर ग्रामीण इलाकों के लोगों की मेले के चारों तरफ भीड़ ही भीड़ दिखाई दे रही थी। पल-पल बदलते आधुनिकता के इस परिवेश में आज भी मेले के प्रति लोगों का ऐसा आकर्षण बना हुआ है, यह स्पष्ट रूप से ²ष्टिगोचर हो रहा था।

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मेले की हृदयस्थली माने जाने वाले नखास में हस्तशिल्प गांव एक बड़े भू-भाग पर बसाया गया है। जिसमें विभिन्न प्रकार की खिड़की और दरवाजे, वूलेन चादर और कंबल, जूते-चप्पल से लेकर शंख और शीपियों से निर्मित हस्तशिल्प से बनी बेजोड़ कारीगरी की एक से बढ़कर एक दुकानें हैं। मेला घूमने आने वाले लोग आर्ट एंड क्राफ्ट वीलेज का मुआयना करना नहीं भूलते। ठीक इसके सामने डीआरडीए द्वारा निर्मित ग्रामश्री मंडप है। इस मंडप में सारण, वैशाली, नालंदा, पटना, सीतामढ़ी आदि समेत विभिन्न जिलों के स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित वस्तुओं की अलग-अलग काउंटर लगाए गए हैं। इसमें भीड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शुरूआती 23 से 26 नवंबर को बीच बांस कला, उनी वस्त्र, चाबी ¨रग, लीची और आम के जूस, चायपत्ति, चादर, शॉल, कंबल, जूता-चप्पल, शीप व मोतियों से निर्मित सामग्री, मधुबनी पें¨टग, सिक्की डलिया तथा चूड़ी-लहठी तथा खाजा मिठाई आदि हस्त निर्मित वस्तुओं की बिक्री 13 लाख 65 हजार मात्र तीन दिनों के अंदर हुई। इसके आगे स्वच्छता मंडप है। वैसे ही अनेक सरकारी तथा गैर-सरकारी प्रदर्शनियां लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।

इधर कुछ प्रदर्शनियां ऐसी हैं, जो मेला उद्घाटन के 7 दिन बाद भी निर्माणाधीन ही हैं। उधर मेले के नखास एरिया से बाहर विभिन्न प्रकार की छोटी-बड़ी दुकानें लगी हुई हैं। इन दुकानों में सबसे अधिक वूलेन वस्त्रों की दुकानें हैं। इन वूलेन वस्तुओं में जयपुरी रजाई से लेकर जम्मू-कश्मीर की हस्तकारीगरी को लिए अनेक गर्म वस्त्रों की दुकानें ड्रोलिया ¨सदूर चौक तक हैं। मेले में सुदूर गांव-देहात से आई महिलाएं यहां पूरी-जलेबी और चाट की दुकानों पर भीड़ लगाए हुए हैं। वहीं आर्थिक रूप से सृदृढ़ लोग मशाल डोसा तथा मेले में मौजूद एक से बढ़कर एक मिठाईयों का स्वाद लेने में जुटे हैं। रविवार की भीड़ और बिक्री ने दुकानदारों में उम्मीद जताई है कि अब बिक्री बेहतर होगी।


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