मेला समाप्त होते ही अंधकार में डूबा पुराना गंडक पुल
हरिहरक्षेत्र मेले की सरकारी अवधि समाप्त होने के साथ ही हाजीपुर-सोनपुर को जोड़ने वाली पुरानी गंडक पुल एक बार फिर अंधकार में डूब गई है।
वैशाली। हरिहरक्षेत्र मेले की सरकारी अवधि समाप्त होने के साथ ही हाजीपुर-सोनपुर को जोड़ने वाली पुरानी गंडक पुल एक बार फिर अंधकार में डूब गई है। उल्लेखनीय है कि सोनपुर अनुमंडल क्षेत्र व हाजीपुर जिला मुख्यालय को आपस में जोड़ने के लिए हाजीपुर-सोनपुर के बीच बहने वाली गंडक नदी पर वर्तमान में दो सड़क पुल निर्मित हैं। परंतु छपरा व वैशाली को जोड़ने के लिए गंडक नदी पर निर्मित नए पुल पर मुख्यत: छपरा-वैशाली व छपरा-पटना के लिए चलने वाले बड़े यात्री व मालवाहक वाहनों का आना-जाना होता है। इसलिए सोनपुर अनुमंडल क्षेत्र की एक बड़ी आबादी हाजीपुर शहर आने-जाने के लिए सौ साल से भी पुरानी अंग्रेजी शासनकाल में बने इसी पुराने गंडक पुल का उपयोग करती है। सोनपुर अनुमंडल मुख्यालय व हरिहरनाथ मंदिर के काफी निकट होने के कारण सोनपुर शहरी क्षेत्र व आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग हाजीपुर आने-जाने के लिए मुख्यत: इसी पुराने गंडक पुल पर निर्भर हैं। लेकिन शाम होते ही यह पुल अंधेरे में डूब जाता है।
हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोनपुर में लगने वाले एशिया प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र मेला व श्रावणी महोत्सव की शुरुआत के समय बाबा हरिहरनाथ पर जलार्पण को जुटने वाली श्रद्धालुओं की भारी भीड़ व मेला भ्रमण को आए आम लोगों की बड़ी संख्या की सुविधा को देखते हुए हमेशा ही अंधकार में डूबे रहने वाले इस पुराने गंडक पुल पर हाजीपुर नगर परिषद प्रशासन की ओर से प्रकाश की व्यवस्था की जाती है। लेकिन जैसे ही इन दो महत्वपूर्ण उत्सवों की समयावधि समाप्त होती है, यह पुल पुन: गहरे अंधकार में डूब जाया करता है।
इधर, हरिहरक्षेत्र मेला की सरकारी अवधि तो समाप्त हो गई, परंतु न तो मेले में सजी दुकानों की संख्या में कहीं कोई कमी आई है और न ही मेला भ्रमण को आए लोगों की संख्या में। अगर, कहीं कमी आई है तो वह है सरकारी व निजी स्तर पर लगाए गए विभिन्न विभागों की प्रदर्शनियों में। परंतु मेला भ्रमण को आए लोगों की संख्या पूर्व की तरह ही बदस्तूर जारी है। क्योंकि ठंड के इस मौसम को देखते हुए उचित व सही मूल्य पर ऊनी वस्त्रों की खरीद की इच्छा रखने वाले आस-पास के अलावा दूर-दराज के लोग भी मुख्यत: सरकारी अवधि समाप्त होने के पश्चात ही मेले में आना प्रारंभ करते हैं। इधर मेले की सरकारी तिथि समाप्त होने के साथ ही मेले के ऊपर से प्रशासन का ध्यान हटने से यह पुराना गंडक पुल एक बार पुन: अंधकार में डूब गया और इसी के साथ शुरू हो गई हमेशा की तरह इस अंधकार को झेलने की मेलार्थियों की परेशानी व सोनपुर अनुमंडल क्षेत्र व हाजीपुर शहरी क्षेत्र के आम लोगों की पीड़ा।