यहां बेजुबां आकृतियां भी कुछ कहती हैं..
कहते हैं कि प्रकृति हमें हर पल शिक्षा देती है। उसकी हर कृति में कुछ न कुछ छिपा होता है, जिसे हम बेजान व बेकार समझ यूं ही छोड़ देते हैं कला के पारखी उसे निखाड़ कर हमारे सामने एक मिसाल पेश करते हैं।
वैशाली। कहते हैं कि प्रकृति हमें हर पल शिक्षा देती है। उसकी हर कृति में कुछ न कुछ छिपा होता है, जिसे हम बेजान व बेकार समझ यूं ही छोड़ देते हैं कला के पारखी उसे निखाड़ कर हमारे सामने एक मिसाल पेश करते हैं। भारत में सदियों से काष्ट व पत्थर पर कलाकार आकर्षक आकार में मूर्तियों को उकेरते व गढ़ते आए हैं। देश-विदेश में इसके कई जीता-जागता उदाहरण भी मौजूद है लेकिन जंगलों में झड़ना या नदी के पानी में बहकर आई लकड़ियां भी किसी कलाकार की पारखी नजर व हुनरमंद हाथों से एक आकार पा जाए ऐसा उदाहरण कम ही देखने को मिलता है। हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला के पर्यटन विभाग पंडाल परिसर में यह कला देशी-विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। कलाकार इसे ड्रीफ्टवूड आर्ट कहते हैं। इस कला के पारखी व कद्रदानों के लिए पूरे भारत में एक मात्र म्यूजियम व पार्क भागलपुर के बूढ़ानाथ में मौजूद हैं जहां ड्रीफ्टवूड से तराश कर बनाई गई कई आकर्षक व मार्मिक आकृतियां लगाई गई है।
हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला में पहली बार इसकी प्रदर्शनी लगाई गई है। यहां पानी में बहकर आई बेजुबान लकड़ियों में उभरी हल्की सी आकृति को कलाकार कड़ी मेहनत से आकार देते हैं। ये आकृतियां प्रकृति की अनुपम भेंट के साथ-साथ मानव प्रेम की मिसाल पेश कर रहे हैं। प्रदर्शनी में दूसरे ग्रह से आए प्राणी से लेकर दो लोगों के बीच गाढ़ी दोस्ती, प्रकृति के साथ मानवीय छेड़छाड़ के दर्द को दर्शाती डाइंग बर्ड की प्रतिकृति है तो दूसरी ओर ¨हसक वन्य प्राणियों से अपने छोटे बच्चे को बचाती मादा ¨चपांजी व अपने बच्चे को गोद में लिए महिला की प्रतिकृति से ममता झलक रही है। वहीं शेषनाग और भगवान कृष्ण की बांसूरी बजाती प्रतिकृति धार्मिक आस्था की छटा बिखेर रही है।