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बरगद का पौधा लगाकर वट सावित्री पूजन में सुहागिनों का पेड़ बचाने का संकल्प

सुहागिन महिलाओं के पति की दीर्घायु की कामना में जेष्ठ कृष्णपक्ष अमावस्या को बट सावित्री व्रत को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह दिखा। कोरोना महामारी के भयावह दौड़ में भी इन पर आस्था भारी रहा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 10:29 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 10:29 PM (IST)
बरगद का पौधा लगाकर वट सावित्री पूजन में सुहागिनों का पेड़ बचाने का संकल्प

जागरण टीम, वैशाली : सुहागिन महिलाओं के पति की दीर्घायु की कामना में जेष्ठ कृष्णपक्ष अमावस्या को बट सावित्री व्रत को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह दिखा। कोरोना महामारी के भयावह दौड़ में भी इन पर आस्था भारी रहा। इस दौरान कहीं समूह में तो कहीं अपने घरों के परिसर में महिलाओं ने बरगद के वृक्ष का पूजन कर मंगल घागे लपेटे। कहीं-कहीं घर के गमले में ही बट वृक्ष की पूजा हुई। महिलाओं का समूह परंपरागत गीत गाते हुए पति के साथ परिवार और समाज के लिए मंगल कामना की।

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जिले के अनेक हिस्से में बड़ी संख्या में महिलाओं ने दैनिक जागरण की पहल पर वट सावित्री पूजा पर बरगद के पौधे लगाए और उसका पूजन करते हुए पौधे की रक्षा और अगले वर्ष पुन: इस पौधे का पूजन करने का संकल्प लिया। शहर के गांधी आश्रम, बागदुल्हन, पोखरा मोहल्ला, मड़ई, राजपूतनगर, युसूफपुर, बागमली, हथसारगंज, सांचीपट्टी, तंगौल, अंदरकिला, नखास, कटरा, चौहट्टा, मीनापुर, लोदीपुर, चकवारा, जढ़ुआ आदि इलाके में बड़ी संख्या में महिलाओं ने इस मुहिम में जुड़कर पर्यावरण संरक्षण में पौधे लगाने में अपना योगदान दिया। इसके साथ ही अनेक जगह बड़ी संख्या में बुदधिजीवी और युवाओं ने भी मुहिम में शामिल होकर बरगद के पेड़ लगाए और इसकी रक्षा करने का संकल्प लिया। लोगों ने दैनिक जागरण की इस पहल की सराहना भी की।

मालूम हो कि जेष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को वट सावित्री का व्रत होता है। मिथिलांचल में इसे बरसात पूजा भी कहते हैं। सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए यह एक उत्सव के जैसा होता है। एक तरफ जहां लॉकडाउन में सख्ती थोड़ी कम हुई है तो दूसरी ओर वट सावित्री पूजा को लेकर महिलाओं के बीच खास उत्साह रहा। कहीं-कहीं सार्वजनिक स्थलों पर लोक परंपरागत लोक गीतों के साथ माथे पर मिट्टी का कलश और हाथों में बांस की बनी हुई डॉली और पंखे को लेकर झुंड में वटवृक्ष की पूजा के लिए पहुंची। मान्यता है कि ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन अगर बरगद वृक्ष की पूजा की जाए तो यह अखंड सौभाग्य को देने वाला होता है। इस मान्यता को लेकर स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु जीवन की मंगल कामना के लिए सुबह से ही वट सावित्री व्रत को लेकर सक्रिय दिखी।

हथसारगंज के नका नंबर तीन के पास कोरोना जैसे संकट को मात देते हुए वट सावित्री पूजा में महिलाओ ने बढ़-चढ़ कर पूजन किया। अपने पति के दीर्घायु की कामना करती हुई इस दिन सुहागिनें अपने अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सती सावित्री ने अखंड पूजन करते हुए अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। हिदू पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। दूसरी ओर महिलाओं के बीच इस दौरान सूर्यग्रहण को लेकर भी चर्चाएं होती रही, लेकिन आचार्याें ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि सूर्योदय और सूर्यास्त संसार के जिस भूभाग से दिखता है उसी भूभाग पर ग्रहण का भी प्रभाव पड़ता है। क्योंकि यह सूर्यग्रहण बिहार में कहीं दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां इसका कोई प्रभाव भी नहीं पड़ेगा। पकवान-मौसमी फलों से त्रिदेव स्वरूप वटवृक्ष की पूजा-अर्चना

संवाद सहयोगी, महनार : पति के दीर्घायु होने की कामना और परिवार की समृद्धि और सुरक्षा के लिए सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा अर्चना की। महनार और सहदेई बुजुर्ग प्रखंड क्षेत्र में वट सावित्री पूजन पर व्रती महिलाएं अपने पति के दीर्घायु होने और घर परिवार की समृद्धि की कामना को लेकर नये-नये परिधानों में वट वृक्ष के पास पहुंची और यहां विभिन्न प्रकार के पकवान और मौसमी फलों से त्रिदेव स्वरूप वटवृक्ष की पूजा अर्चना की। ज्यादातर सुहागिनों ने अपने घरों में ही बरगद के पौधे लगाकर विधि-विधान से वट सावित्री पूजा की। पूजन के दौरान सत्यवान सावित्री की कथा भी सुनी। पंडितों ने मंत्रोच्चारण के साथ व्रतियों का पूजन कराया। सोलह श्रृंगार करके सुगंधित वातावरण में वटवृक्ष की पूजा संवाद सूत्र, चेहराकलां : बट सावित्री व्रत पर सौभाग्यवती महिलाओं ने भिन्न-भिन्न फल, फुल एवं नैवेद्य अर्पित कर वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की लंबी आयु की कामना की। इस अवसर पर सौभाग्यवती महिलाएं पवित्र होकर सोलह श्रृंगार करके सुगंधित वातावरण में वटवृक्ष की पूजा करती है। ऐसी मान्यता है कि सती सावित्री अपने पति सत्यवान की रक्षा के लिए वट सावित्री का व्रत रखते हुए यमराज से अपने मृत पति सत्यवान की आत्मा को लौटा कर पति की रक्षा की थी। उसी समय से सौभाग्यवती महिलाएं अपनी पति के दीर्घायु की कामना में ज्येष्ठ अमावस्या को धूमधाम से व्रत रखती हैं और वटवृक्ष के नीचे पूजा कर पेड़ में धागे लपेटती हैं। वट सावित्री में पति की लंबी आयु और उन्नति की कामना संवाद सहयोगी, महुआ : पति की लंबी आयु और उन्नति की कामना को लेकर सुहागवती महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा-अर्चना की। महुआ नगर परिषद क्षेत्र के देसरी रोड में मोनी कुमारी, सरोज शुक्ला, रीता देवी, निस्सी कुमारी, चंदा ठाकुर, जुली, मौसम शुक्ला, कल्याणी झा, रिम्मी कुमारी, डॉली सोनी, रिकी सोनी सहित अन्य महिलाओं ने गुरुवार को पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की। इस दौरान अपने पति की लंबी आयु एवं परिवार की उन्नति सहित अन्य कामनाएं की। इसके अलावा अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी वट सावित्री व्रत को लेकर महिलाओं ने पूजा अर्चना किया। महिलाओं ने लिया 51 वटवक्ष लगाने का संकल्प संवाद सूत्र, भगवानपुर : अपने पति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की कामनाओं के साथ यहां भगवानपुर, सराय, इमादपुर, बिठौली, रहसा, शंभुपुर कोआरी, हुसेना, गोढिया, बांथु आदि गांवों में सुहागिन महिलाएं सुबह में ही नहा-धोकर नए-नए परिधान में सोलह श्रृंगार कर वटवृक्ष की पूजा की। कोई 101 बार तो कोई 5 बार वटवृक्ष की परिक्रमा कर अपने सुहाग की रक्षा की भगवान से मिन्नतें की। भगवानपुर पूर्वी बाजार में नीतू देवी, किरण देवी, माधुरी देवी आदि ने बरगद पौधे का रोपन कर पूजा अर्चना करते हुए अगले वर्ष इसी वृक्ष के पास पूजा करने का संकल्प लिया। इसके साथ ही महिलाओं ने इस वर्ष विभिन्न जगहों पर 51 वटवक्ष लगाने का संकल्प लिया।

वटवृक्ष में भगवान का वास मान सुहागिनों ने किए पूजन संवाद सूत्र, राजापाकर : सुहागिनों ने उमंग, उल्लास और भक्त भाव से वट सावित्री व्रत रखकर पति के दीर्घायु की कामना की। शास्त्रों के अनुसार वट वृक्ष के मूल में ब्रहमा, मध्य में विष्णु तथा अग्र भाग में शिव का वास माना गया है। वटवृक्ष को देव वृक्ष माना गया है। जेष्ठ माह अमावस्या के दिन वटवृक्ष में सात बार सूत्र बांधे जाते हैं। मान्यता है कि वटवृक्ष में माता सावित्री का भी वास होता है। प्रखंड के नारायणपुर, बेलकुंडा, बिरना लखनसेन, लगुरांव, बिलंदपुर, बाकरपुर, बैकुंठपुर आदि गांवों में सुहागिनों के व्रत किए।


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