राघोपुर में पीएचसी व एपीएचसी की लापरवाही से मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ
प्रखंड में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र एवं उपकेंद्रों की हालत दिनों-दिन बदतर होती जा रही है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वीरपुर का भवन ठीक-ठाक है डॉक्टर भी ड्यूटी के लिए पहुंचते हैं।
संवाद सूत्र, राघोपुर :
प्रखंड में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र एवं उपकेंद्रों की हालत दिनों-दिन बदतर होती जा रही है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वीरपुर का भवन ठीक-ठाक है, डॉक्टर भी ड्यूटी के लिए पहुंचते हैं, इसके बावजूद लोगों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है। वहीं अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वीरपुर में मरीजो को डॉक्टर और दवा नहीं मिल पाता। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राघोपुर, रेफरल अस्पताल मोहनपुर एवं अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र वीरपुर, मलिकपुर एवं जुड़ावनपुर समेत अधिकांश स्वास्थ्य उपकेंद्र निर्माण के बाद विभागीय अनदेखी का शिकार है।
अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र वीरपुर में ओपीडी एवं टीकाकरण के लिए डॉ. तरन्नुम फातिमा सुभानी, एनएम मालती कुमारी एवं अनिता कुमारी आती है। ओपीडी में रोगियों को दवा नहीं मिलती, जिससे मार्केट से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती है। वहीं डॉ. तरन्नुम फातिमा ने बताया कि उपकेंद्र की स्थिति काफी जर्जर है। बिजली की व्यवस्था नहीं है। दरवाजे एवं खिड़की टूटी हुई है। शुद्ध पेयजल एवं शौचालय की व्यवस्था नहीं है। यहां ड्यूटी के दौरान डॉक्टर एवं एनएम को काफी परेशानी होती है। डॉक्टर ने बताया कि कोरोना वैक्सीनेशन के दौरान मरीजों को बैठने के लिए कुर्सी एवं वैक्सीनेशन के बाद आराम करने के लिए बेड नहीं लगाया गया है। कई बार वैक्सीनेशन के बाद अचानक मरीज की तबीयत खराब होने के बाद जमीन पर लिटाकर इलाज किया जाता है। बताते हैं कि उपकेंद्र में दो डॉक्टर, क्लर्क एवं लैब टेक्नीशियन, दो एमएम की तैनाती है। लेकिन इनमें अधिकांश यहां नहीं आते हैं। यहां सीएससी सेंटर स्थानीय लोग चला रहे हैं। वहीं कई रूम में हॉस्पिटल की टूटी-फूटी सामग्री रखी गई है। विभागीय निगरानी व रखरखाव के अभाव में अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेंद्र बदहाल बना हुआ है। चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा है। मुखिया अरुण राय ने कहा कि यहां स्वास्थ्य सुविधा की घोर कमी है। चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मी मनमानी करते हैं। इनका कभी-कभार ही दर्शन हो पाता है। यहां की समस्याओं को लेकर कई बार मामला उठाया गया, लेकिन इसमें कोई सुधार नहीं हुआ।