सिर्फ 44 फीसद अभियंताओं पर बाढ़ व सिचाई परियोजना के क्रियान्वयन की जिम्मेवारी
वैशाली। राज्य के जिलों में 44 प्रतिशत अभियंताओं पर ही बाढ़ एवं सिचाई परियोजनाओं के कार्यान्
वैशाली। राज्य के जिलों में 44 प्रतिशत अभियंताओं पर ही बाढ़ एवं सिचाई परियोजनाओं के कार्यान्वयन की जिम्मेवारी है। ऐसे में इतने कम अभियंताओं से शत-प्रतिशत कार्य प्रगति की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। यह बातें बिहार अभियंत्रण सेवा संघ के महासचिव डा. सुनील कुमार चौधरी ने कही है। उन्होंने कहा कि जल संसाधन विभाग हजारों करोड़ की बाढ़ एवं सिचाई परियोजनाओं का निर्माण एवं प्रबंधन करता है। अब योजनाओं का आकार कई गुणा बढ़ चुका है। इसके लिए अभियंताओं की संख्या तिगुना करने की आवश्यकता है। जिससे विकास कार्यों की प्रगति तेजी से हो सकेगी।
राज्य के जल संसाधन विभाग में अभियंता प्रमुख के अलावा मुख्य अभियंता के 48 प्रतिशत, अधीक्षण अभियंता के 36 प्रतिशत, कार्यपालक अभियंता के 28 प्रतिशत एवं सहायक अभियंता के 66 प्रतिशत सहित कुल अभियंताओं के औसतन 56 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त हैं। कई वर्षों से क्षेत्रीय कार्यालयों में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई है। विभागीय मूलभूत सुविधाओं, अभियंताओं एवं कर्मचारियों की असाधारण कमी के बीच अभियंता दिन-रात एक कर बाढ एवं सिचाई परियोजनाओं का निर्माण एवं अनुरक्षण का कार्य कर रहे हैं।
इस बीच सरकार की अति महत्वाकांक्षी हर खेत को पानी परियोजना में जल संसाधन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है। पहले से ही कार्य बोझ तले दबे अभियंताओं को नोडल पदाधिकारी बनाकर मुश्किलें बढ़ा दी गई है। इस स्थिति में बिहार अभियंत्रण सेवा संघ जल संसाधन विभाग के शीर्ष पदों पर अभियंता की तैनाती के साथ योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के मद्देनजर पदों की संख्या तिगुनी करने, अभियंताओं के खाली पदों को अविलंब भरने, अभियंताओं के प्रति पनिशिग एप्रोच त्याग कर प्रिवेंटिव एंड अवार्डिंग एप्रोच अपनाने तथा अभियंताओं को मूलभूत सुविधाओं से लैस करने की मांग सरकार से की है।