सोनपुर में गोला बाजार के समीप लाइट इंजन पटरी से उतरा, परिचालन बाधित
ुुुसोनपुर संवाद सहयोगी । रेल प्रशासन के रखरखाव की खामियों को उजागर करते सोमवार को एक बार फिर सोनपुर गोला बाजार के समीप एक इंजन पटरी से उतर गया। यह घटना
वैशाली।
सोमवार को एक बार फिर सोनपुर गोला बाजार के समीप एक इंजन पटरी से उतर गया। यह घटना 8 नंबर ट्रैक पर ठीक उसी स्थान पर हुई जहां शनिवार की शाम शंटिग के लिए ले जाये जा रहा एक इंजन बेपटरी हो गया था। सोमवार को एक बार फिर हूटर बजते ही रेल अधिकारियों व संबंधित कर्मचारियों में खलबली मच गई। जैसे ही यह खबर कंट्रोल को मिली कि मौके पर एडीआरएम 1 पीके सिन्हा व एडीआरएम-2 अरुण कुमार यादव, सीनियर डीएमई नितिन कुमार, सीनियर डीएसओ वीरपाल सिंह, सीनियर डीईएन समेत अन्य पदाधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए। इस बीच एआरटी की टीम भी पहुंच गई।
इस संबंध में डीसीएम चंद्र शेखर आजाद ने पूछे जाने पर बताया कि उक्त लाइट इंजन सहदेई से पहलेजा घाट जा रहा था। उन्होंने बताया कि इस दौरान लगभग सात मेल व पैसेंजर गाड़ियों का परिचालन बाधित हो गया। दूसरी ओर इस घटना के बाद जहां अप वैशाली सुपर फास्ट एक्सप्रेस को सोनपुर के पूर्वी होम सिग्नल पर ही रोक दिया गया, वहीं पटना रूट की इधर से होकर गुजरने वाली लोकमान्य तिलक से कामाख्या जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन को लगभग तीन घंटे से ऊपर पहलेजा भरपुरा स्टेशन पर ही रोक दिया गया।
उक्त इलेक्ट्रिक इंजन के तीन पहिये पटरी से नीचे उतर गए थे। यह घटना दिन के 11 बजकर 56 मिनट पर घटित हुई। पुन: इंजन को दो बजकर 40 मिनट पर पटरी पर लाया गया। इस बीच 12530 डाउन लखनऊ से पाटलिपुत्र आने वाली ट्रेन नयागांव में रोक दिया गया। 12488 डाउन सीमांचल एक्सप्रेस को पाटलिपुत्र से ही डायवर्ट कर दिया गया। बिहार संपर्क सुपर फास्ट ट्रेन को सोनपुर में रोके रखा गया, जबकि रक्सौल-पाटलिपुत्र इंटरसिटी को हाजीपुर तक ही सीमित कर दिया गया। जनसेवा एक्सप्रेस भी इस दौरान बाधित हुई। इस दौरान सैकड़ों रेलयात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। 48 घंटे के अंदर सोनपुर स्टेशन से थोड़ा पश्चिम की ओर आठ नंबर ट्रैक से इंजन के उतरने की घटना ने रेल प्रशासन तथा इंजीनियरिग विभाग के रखरखाव पर बड़ा सवाल पर खड़ा कर दिया है। शनिवार की घटना में जैसा कि नाम नहीं छापने के शर्त पर एक विभागीय कर्मचारी ने बताया था कि आधे दर्जन से ऊपर पेंडॉल क्लिप खुले होने के कारण रेलवे ट्रैक में फैलाव हो गया था जिस कारण शनिवार की शाम को शंटिग के लिए जा रहे इंजन का पहिया उतर गया था। लोग उठा रहे सवाल कि क्या ट्रैक का मेंटेनेंस कायदे से नहीं किया गया इधर उसी स्थान पर दुबारा इंजन के बेपटरी होने पर लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया कि क्या उक्त स्थल पर ट्रैक का मेंटेनेंस कायदे से नहीं किया गया? अथवा रेल प्रशासन ने उक्त घटना को गम्भीरता से ही नहीं लिया। इसे संयोग ही कहेंगे कि सोमवार के घटना से थोड़ी देर पहले उसी ट्रैक से होकर गुवाहाटी से दिल्ली जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस गुजरी थी। अगर राजधानी एक्सप्रेस के इंजन के साथ यह घटना हुई होती तो बड़ा हादसा से हो सकता था। आश्चर्य यह कि संबंधित अधिकारी रेल की पटरियों का आखिर किस तरह निरीक्षण करते हैं कि एक ही स्थल पर एक तरह की दो घटनाएं 48 घंटे के अंदर घटित हो गईं। शाम को फिर बेपटरी हुआ इंजन सोनपुर रेल मंडल के ट्रैक मेंटेनेंस की लापरवाहियों की तब हद हो गयी जब एक बार फिर सोमवार की शाम उसी स्थान पर ट्रायल इंजन बेपटरी हो गया। दुबारा हूटर बजते ही रेल अधिकारियों के कान खड़े हो गए। सोनपुर कंट्रोल की घंटियां घनघना उठीं। जैसे ही रेल अधिकारियों की जानकारी हुई, आनन फानन में एडीआरएम 2 अरुण कुमार यादव, सीनियर डीएन 1 प्रदीप कुमार समेत विभिन्न विभागों के वरीय अधिकारी व कर्मचारी वहां पहुंच गए। दोपहर 12 बजे सहदेई से पाटलिपुत्र जा रही इंजन का पहिया इसी स्थल पर उतर गया था। उक्त इंजन को दोपहर 2.40 बजे ट्रैक ओर ले जाए जाने के बाद तकरीबन तीन बजे से गाड़ियों का परिचालन सामान्य हो गया था। इस घटना में आधे दर्जन से अधिक गाड़ियों का परिचालन घंटों बाधित रहा था। इस घटना के बाद वरीय अधिकारियों के देखरेख में उक्त स्थल पर ट्रैक का मेन्टेन्स किया जा रहा था। इसी दौरान लगभग साढ़े पांच बजे जैसे ही ट्रायल के लिए वहां इंजन लाया गया कि एक बार फिर उक्त इंजन का एक पहिया पटरी से उतर गया। इस घटना ने ट्रैक मेन्टेनेन्स में लापरवाही को उजागर कर दिया। मौके पर मौजूद सेनियसर डीएन 1 प्रदीप कुमार से जब पूछा गया कि 48 घंटे के भीतर डिरेलमेंट की यह तीसरी घटना निश्चित रूप से मेन्टेनेन्स की कमियों को उजागर करता है, इस सवाल पर पहले तो वे टाल-मटोल करते रहे। जब पुन: पूछा गया तब उन्होंने स्वीकार किया कि मेंटेंनेंस चूक के कारण यह घटनाएं हुईं। उन्होंने कहा कि किसी पैसेंजर ट्रेन के साथ यह हादसा न हो इसके लिए पूरी बारीकी के साथ युद्धस्तर पर ट्रैक का मेंटेनेंस का कार्य किया जा रहा है।