आवास योजना: जांच टीम पर लगा तथ्यों को छुपाने का आरोप
वैशाली प्रखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत एसईसीसी-2011 के सर्वे के आधार पर ।
वैशाली । वैशाली प्रखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत एसईसीसी-2011 के सर्वे के आधार पर चयनित लाभुकों की सूची की जांच के लिए गठित सात सदस्यों की टीम पर भी अनियमितताओं के आरोप लगे हैं।
इस संबंध में पंचायत समिति सदस्य मुकेश कुमार की ओर से आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद फुलाढ़ पंचायत में एक भी लाभुक को न स्वीकृति पत्र मिला और न ही राशि।
यही हाल भागवतपुर पंचायत का है। वहां भी जांच दल ने झोपड़ी वालों को पक्के मकान का मालिक बना दिया और पक्के मकान वालों को झोपड़ी वाला साबित कर दिया।
इस पर एक लाभुक गजेंद्र कुमार ने जिले में आपत्ति दर्ज कराई थी, जिस पर अभी भी जांच चल रही है। यहां आधे लोगों को राशि दी जा चुकी है, लेकिन आपत्ति दर्ज करा दिए जाने के बाद शेष के खाते में राशि का हस्तांतरण रुका हुआ है।
अनियमितताओं बरतने संबंधी लगे आरोपों के कारण महम्मदपुर पंचायत में भी अभी तक लाभुकों के खाते में राशि हस्तांतरित नहीं हो पाई है।
वहीं फुलाढ़ पंचायत में कुल 476 लोगों की प्राथमिक सूचि बनाई गई है। इनमें राशि हस्तांतरित करने के लिए कुल 66 लोगों के ही नाम शामिल हैं। इनमें सामान्य कोटि से आने वाले लाभुकों की संख्या-23 एवं अल्पसंख्यक कोटे के तहत कुल लाभुकों की संख्या-13 है।
सरकारी निर्देशानुसार गत 30 जून तक ही लाभार्थियों के पंजीयन, पांच जुलाई तक स्वीकृति पत्र वितरण एवं 15 जुलाई तक प्रथम किश्त की राशि को लाभुकों के खाते में भेज दिया जाना था।
लेकिन इस योजना से जुड़े सरकारी बाबुओं व कर्मियों तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से बरती गई गोपनीयता के कारण इस गड़बड़ी का तत्काल पता नहीं चल सका।
किस लाभुक को स्वीकृति पत्र मिला, कब मिला, कैसे मिला, इस संबंध में जनता की बात तो छोड़ दें, जिस लाभुक को इस योजना का लाभ मिला, वह भी बताने में असमर्थ है।
वैशाली प्रखंड में इस योजना की हुई शुरुआत के समय से ही लाभुकों के चयन संबंधी अपनाई गई प्रक्रिया पूरी तरह से संदेहास्पद व विवादास्पद रही है। यहां के बीडीओ ने गत वर्ष सात दिसंबर को ही पत्रांक संख्या-1388 निर्गत कर प्रखंड में पदस्थापित सभी पर्यवेक्षकों को चयनित सूची की सही ढंग से जांच करने का जिम्मा सौंपा था।
लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी किसी पर्यवेक्षक ने जांच रिपोर्ट बीडीओ को नहीं दिया। इसके बाद गत वर्ष पांच अगस्त को डीएम ने वैशाली बीडीओ को प्रेषित पत्र में निर्देश दिया था कि आवास सहायकों की ओर से चयनित लाभुकों की सूचि को 13 अगस्त को ग्राम सभा से पारित करा लिया जाए। लेकिन बीडीओ ने इस आदेश का अनुपालन नहीं किया।
इसके बाद पुन: डीडीसी ने गत वर्ष 22 अगस्त को बीडीओ को भेजे गए पत्रांक संख्या-1794 में ग्राम सभा से लाभुकों की सूची पारित कराने का निर्देश दिया। लेकिन आवास सहायकों की मनमानी के कारण 31 अगस्त तक अधिकांश पंचायतों की सूची ही नहीं बन पाई। समय पर सूची नहीं बन पाने के बाद भी कागजों पर ही इसे ग्राम सभा से पारित भी करा लिया गया।
इधर लोगों का कहना है कि वैशाली प्रखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत एसईसीसी की ओर से लाभुकों की बनाई गई सूची आज भी प्रखंड क्षेत्र के लोगों के लिए एक रहस्य ही है। इस रहस्य का उद्घाटन करने बाद गड़बड़ी की जांच करने वाली टीम ने भी अपना काम सही ढंग से नहीं किया। योजना में व्याप्त अनियमितता संबंधी लगे कई आरोप तो ऐसे हैं, जो काफी गंभीर हैं। अगर एसईसीसी की ओर से बनाई गई लाभुकों की मूल सूची की जांच की जाए तो कई नए खुलासे होंगे। एसईसीसी की ओर से बनाई गई लाभुकों की इस मूल सूची में कई लाभुकों के क्रमांक को इधर से उधर कर दिया गया। इतना ही नहीं, सबसे बड़ा आरोप यह है की मूल सूची बनाते वक्त योजना से जुड़े बाबुओं, कर्मियों व जनप्रतिनिधियों ने कंप्यूटर की मदद से अपने मनपसंद लोगों के नाम जोड़ दिए। इसके बाद बनी इस सूची में किसी-किसी पंचायत के मृत लोगों के नाम भी जोड़ दिए गए हैं। तो कहीं-कहीं योग्य लाभुक मिले ही नहीं। जो लाभुक मिले, उनके नाम भी गड़बड़ी की जांच करने वाले पदाधिकारी ने हटा दिए।