एक ओर बाढ़ तो दूसरी ओर सुखाड़, किसान बेहाल
बिदुपुर।बिदुपुर प्रखंड में जहा एक ओर गंगा नदी के जल स्तर बढ़ने से दियारा एवम तटवर्ती भाग में बाढ़ की स्थिति उतपन्न हो गए है,वही दूसरी ओर गंगा नदी के उत्तर दिशा में उपरवार में सुखाड़ की स्थिति उतपन्न हो गए है।
बिदुपुर। बिदुपुर प्रखंड में जहां एक ओर गंगा के जलस्तर में वृद्धि से दियारा एवं तटवर्ती इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हैं, वहीं दूसरी ओर गंगा नदी के उत्तर के ऊपरी इलाके में पानी की कमी से सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। दोनो तरफ के किसान बेहाल नजर आ रहे हैं। बाढ़ के कारण सैकड़ों एकड़ भूमि में लगे मक्का, धान एवं सब्जी के पौधे डूब गए है, जिसके कारण किसानों को काफी आर्थिक क्षति पहुंची है। वही वर्षा नहीं होने के कारण गंगा के उत्तर के इलाके में खेतों में दरारें पड़ गई हैं। धान की फसल सूख रही है।
प्रखंड की जुड़ावनपुर पंचायत के वार्ड संख्या 09 से 13 तक पूरा क्षेत्र बाढ़ के पानी से डूबा हुआ है। बाढ़ के कारण यहां के लोगो को जीवन गुजर करना मुश्किल हो रहा है। जबकि चेचर पंचायत के गोखुलपुर एवं चक महम्मद का दियारा क्षेत्र बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है। बाजितपुर सैदात पंचायत की भी सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसल डूब गई है।
सैदपुर गणेश पंचायत के वार्ड 09, 12 एवं 13 में भी बाढ़ का पानी आ जाने से सब्जी एवं केला के पौधों को काफी क्षति पहुंचने का अनुमान है। इस पंचायत के मुखिया कमल कुमार उर्फ अरुण ने बताया कि उनकी पंचायत के सब्जी उत्पादक किसान काफी ¨चतित हैं।जिन किसानों के खेत डूब गए है, वे भविष्य को लेकर भी परेशान हैं। उक्त पंचायत के रामसागर ¨सह, रामईश्वर ¨सह, रामनाथ ¨सह, राजेन्द्र कुमार, रघुनाथ ¨सह, रामबाबू ¨सह, मुन्ना कुमार, वीरचन्द्र ¨सह, उमेश ¨सह, सत्यनारायण ¨सह आदि किसानों के सब्जी के खेत बाढ़ के पानी में डूब गए है, जिसके कारण इन किसानों को काफी आर्थिक क्षति उठानी पर रही है।
वहीं दूसरी ओर प्रखंड के बिदुपुर, माइल, दाउदनगर, खिलवत, रजासन, रहिमापुर, चकसिकन्दर, चकठकुर्सी कुसियारी पंचायत, सहदुल्लहपुर धबौली, नावानगर, आमेर, शीतलपुर कमालपुर, मथुरा, मजलीशपुर, चेचर, कुतुबपुर आदि पंचायतों के उत्तरी भाग में वर्षा नहीं होने से हजारों एकड़ में लगी धान की फसल सूखने के कगार पर पहुंच गई है। इस प्रखंड में सरकारी नलकूप की स्थिति काफी दयनीय है। लगभग दो दर्जन नलकूप में से मुश्किल से दो-चार नलकूप ही चालू हैं। शेष किसी न किसी कारण से बन्द हैं। इन क्षेत्रों के किसानों के समक्ष गम्भीर आर्थिक संकट उत्पन्न होने की संभावना है। यहां के किसान काफी ¨चतित हैं।