मेले में कंपनियां हेलीकॉप्टर से गिरवाती थी चाय की पुड़िया
अगर यूं कहा जाए, कि आज जिस चाय की चुस्की लेकर लोग तनाव कम होने और थकान मिटने का अहसास करते हैं, उस चाय की पहचान हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले से ही बनी।
वैशाली। अगर यूं कहा जाए, कि आज जिस चाय की चुस्की लेकर लोग तनाव कम होने और थकान मिटने का अहसास करते हैं, उस चाय की पहचान हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले से ही बनी। लगभग 70 के दशक में मेले में चाय की पुड़िया मेलार्थियों के बीच मुफ्त बांटी जाती थी। यही नहीं चाय के कई स्टॉल भी मेले में लगते थे, जहां मुफ्त में लोगों को चाय पिलाई जाती थी। मकसद ये कि लोग चाय और उसके स्वाद के बारे में जाने। मेले के दौरान यह भी होता था कि चाय निर्माता कंपनियां हेलीकॉप्टर के माध्यम से मेले की भीड़ मे चाय उपर से चाय की पुड़िया गिरवाती थी। धीरे-धीरे उस पुड़िया पर 5 पैसा मूल्य अंकित किया गया। जब लोगों ने चाय का स्वाद चख लिया, तो 5 पैसे में खरीदने में उन्हें कोई एतराज नहीं हुआ। यह वह दौर था, जब एक पैसे का भी बाजार मूल्य हुआ करता था। आज मेले में ऐसा एक भी स्टॉल नहीं है, जहां किसी चाय कंपनी द्वारा मुफ्त चाय पिलाने की व्यवस्था की गई हो।
हां, यह नेक काम दूसरे रूप में एक सत्तू निर्माता कंपनी द्वारा किया जा रहा है। जो मेले में लगी उसके स्टॉल तक पहुंचने वाले प्रत्येक व्यक्ति को विशुद्ध चने के सत्तू का सेवन करा रहा है। मेला घूमते लोग यह सत्तू पीकर थोड़ी देर तक राहत महसूस कर रहे हैं। ठीक है कि उनका भी उद्देश्य प्रचार पाना ही है लेकिन इसी बहाने हरिहर क्षेत्र की इस पावन भूमि पर पुण्य का भी लाभ प्राप्त हो रहा है। दूसरी ओर कंपनियों द्वारा प्रचार के अनेक तौर-तरीके अपनाए जा रहे हैं, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। लगभग 5 वर्ष पूर्व प्रचार के ही सिलसिले में एक कॉफी कंपनी द्वारा मुफ्त मे कॉफी पिलाई जाने के लिए स्टॉल लगाया जा सकता था। समय के साथ प्रचार-प्रसार के तौर-तरीके भी बदलते जा रहे हैं। 5 पैसे के प्रचार से चला चाय आप 5 रूपये प्रति कप चाय लेकर भी पीने में लोग हिचक महसूस नहीं कर रहे हैं। यह समाज में आई आर्थिक समृद्धि का परिचय दे रहा है।