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बिदुपुर में ¨सचाई साधनों का बंटाधार, किसान बेहाल

पेज दो की लीड - 24 में से दस पंचायतों में ही लगे हैं सरकारी नलकूप - 25 में से 24 नलकूप विभिन्न कारणों से वर्षों से हैं बंद - 200 रुपये प्रति घंटे की दर से खरीदना पड़ रहा पानी - बारिश व ¨सचाई के अभाव में सूख रही है धान की फसल

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 07:34 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 07:34 PM (IST)
बिदुपुर में ¨सचाई साधनों का बंटाधार, किसान बेहाल
बिदुपुर में ¨सचाई साधनों का बंटाधार, किसान बेहाल

वैशाली। बिदुपुर प्रखंड में ¨सचाई के साधनों को बंटाधार हो चुका है। प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में लगे सरकारी नलकूप जहां शोभा की वस्तु बने हुए हैं। प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में हजारों एकड़ में लगी धान की फसल ¨सचाई के अभाव में सूखने लगी है। बड़े व संपन्न किसान तो दो सौ रुपये प्रति घंटे की दर से निजी पंपसेटों से अपने खेतों की ¨सचाई कर ले रहे हैं, लेकिन छोटे व मंझोले किसानों के लिए इतनी ऊंची कीमत पर खेतों की ¨सचाई करने में काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। ¨सचाई की बेहतर व्यवस्था नहीं होने से छोटे व मंझोले किसानों ने तो धान की खेती से ही मुंह मोड़ लिया है।

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मालूम हो कि 24 पंचायतों वाली बिदुपुर प्रखंड में कहने को तो ¨सचाई के लिए विभिन्न पंचायतों में 25 सरकारी नलकूप हैं। तीन बड़े नहर हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। विभिन्न कारणों से 24 नलकूप वर्षों से बंद पड़े हैं वहीं खेत की ¨सचाई के लिए खोदी गई नहर भी उपेक्षा के कारण अब किसी काम की नहीं रही। बिदुपुर में एक मात्र नलकूप खानपुर पकड़ी में चालू है।

कहां कितने नलकूप हैं

पंचायत - नलकूप की संख्या - स्थिति

दाउनगर -01 -बंद

मझौली -05 -बंद

सहदुल्लहपुर धबौली -03 -बंद

मथुरा -01 -बंद

खिलवत -01 -बंद

रहिमापुर -03 -बंद

शीतलपुर कमालपुर -01 -बंद

चकसिकंदर -03 -बंद

आमेर -01 -बंद

खानपुर पकड़ी -05 -सिर्फ एक चालू

नहरों का भी बुरा हाल, किसान बेदम

कहने को तो बिदुपुर प्रखंड में ¨सचाई के लिए तीन नहरें खोदी गई हैं लेकिन ये नहरें आज खुद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। अतिक्रमण व प्रशासनिक उपेक्षा की वजह से मनियारपुर नहर, दाउदनगर नहर और गंगटा नहर का अस्तित्व ही मिटने के कगार पर पहुंच गया है। प्रशासनिक स्तर पर कभी इन नहरों की न तो कोई सुधि ली गई और न ही इन्हें अतिक्रमण से मुक्त कराने का प्रयास किया गया। नतीजतन गुजरते वक्त के साथ धीरे-धीरे इनका अस्तित्व समाप्त होने लगा है।

फसल बचाने में किसानों के निकल रहे दम

प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में हजारों एकड़ में लगी धान की फसल बचाने में किसानों के दम निकल रहे हैं। किसानों की फसलों की ¨सचाई के लिए सरकार के तमाम दावे व घोषणाएं यहां बेमानी साबित हो रहे हैं। आलम यह है कि प्रखंड की दस पंचायतों में लग 25 में से 24 नलकूप ठप पड़े हुए हैं तो 14 पंचायतों में ¨सचाई के लिए एक भी नलकूप नहीं हैं। साधन संपन्न किसान तो निजी पंप सेटों से दो सौ रुपये प्रति घंटे की ऊंची दर पर अपने खेतों की ¨सचाई कर ले रहे हैं लेकिन मध्यम व छोटे किसानों के लिए इतनी ऊंची कीमत पर ¨सचाई करना घाटे का सौदा साबित हो रहा है।


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