नगर परिषद ने पैसे बहाए जमकर पर ड्रेनेज सिस्टम जस का तस
शहर का ड्रेनेज सिस्टम अपनी एक शताब्दी पुरानी व्यवस्था पर सिसकियां लेने को विवश है। नगरपालिका से लेकर नगर परिषद तक का सफर तय करने वाले इस शहर में कुर्सी का खेल तो जमकर हुआ पर बुनियादी समस्याओं का निराकरण आज तक नहीं हो सका।
रवि शंकर शुक्ला, हाजीपुर :
शहर का ड्रेनेज सिस्टम अपनी एक शताब्दी पुरानी व्यवस्था पर सिसकियां लेने को विवश है। नगरपालिका से लेकर नगर परिषद तक का सफर तय करने वाले इस शहर में कुर्सी का खेल तो जमकर हुआ पर बुनियादी समस्याओं का निराकरण आज तक नहीं हो सका। शहर हर वर्ष डूबता-उतराता है। लेकिन इस हालात से ऊबारने की ईमानदार कोशिश नहीं हुई। वह भी उस स्थिति में जब ड्रेनेज सिस्टम पर पैसे भी जमकर बहाए गए।
पौने चार करोड़ खर्च होने के बाद भी परिणाम शून्य
शहर को जलजमाव की समस्या से निजात दिलाने के लिए करीब पौने चार करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। वर्ष 2014-15 में मेन नाले के निर्माण की मंजूरी देते हुए काम कराया गया था। डूडा कार्यकारी एजेंसी थी। नगर परिषद के उप मुख्य पार्षद निकेत कुमार डब्लू बताते हैं कि मानक के अनुरुप काम नहीं हुआ। मेन नाले को काफी संकरा बना दिया गया। ऊपर से स्थायी तौर पर मोटा स्लैब ढाल दिया गया। इस नाले से न तो शहर के पानी की समुचित निकासी हो सकी और न ही उसकी सफाई ही आज तक हुई। नाला बनने के कुछ ही दिनों बाद हैदर अली नगर परिषद के मुख्य एवं निकेत उप मुख्य पार्षद बने। तब के डीएम विनोद सिंह गुंजियाल एवं नगर विकास के सचिव से शिकायत भी की पर नतीजा कुछ नहीं निकला। केंद्र सरकार को भेजा गया था 83 करोड़ रुपये का प्रस्ताव
शहर में दुरुस्त ड्रेनेज सिस्टम के लिए केंद्र सरकार के स्तर पर 2025 में प्रस्ताव मांगा गया था। इसके आलोक में नगर परिषद ने करीब 83 करोड़ रुपये का डीपीआर बनाकर भेजा था। दुबारा भी केंद्र को प्रस्ताव भेजते हुए मंजूरी देने का अनुरोध किया गया था। उप मुख्य पार्षद बताते हैं कि उन लोगों ने काफी प्रयास किया लेकिन मंजूरी नहीं मिल सकी। नगर परिषद फिर नए सिरे से प्रस्ताव को केंद्र एवं राज्य सरकार को भेजेगी। नगर परिषद फेल तो प्रशासन ने संभाला मोर्चा
बीते वर्ष शहर में भारी बारिश के बीच मची तबाही से मुक्ति दिलाने में जब नगर परिषद की व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो गई थी तब जिला प्रशासन को मोर्चा संभालना पड़ा था। डीएम उदिता सिंह ने मॉनिटरिग के लिए डीडीसी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। इसमें नगर परिषद की टीम के अलावा हाजीपुर के विधायक एवं अभियंताओं को भी शामिल किया गया है। टीम इस बार काफी मुस्तैद रही एवं इसका साकारात्मक परिणाम भी सामने आया। लोगों को परेशानी तो हुई पर अल्पकाल के लिए।