घोषणा के बावजूद चेचर ग्राम समूह विकास में फिसड्डी
बिदुपुर ।राजेश।प्लान न्यू•ा।वैशाली जिले का ऐतिहासिक व पुरातात्विक धार्मिक महत्व जग जाहिर है।
राजेश, बिदुपुर (वैशाली) : कई कालखंडों के समृद्ध इतिहास को समेटे ऐतिहासिक चेचर ग्राम समूह कई दशकों से विकास की बाट जोह रहा है। तमाम दावे एवं घोषणाओं के बावजूद न तो आज तक सर्वांगीण विकास हो सका है और ना ही पर्यटक स्थल के रूप में ही वह विकसित हो सका। चेचर ग्राम समूह को विकसित करने की राज्य सरकार ने घोषणा की थी। चेचर और कुतुबपुर गांव में खुदाई भी शुरू हुई थी। पर इधर करीब चार साल से खोदाई का काम बंद है।
मालूम हो कि इतिहास के पन्नों में कोटि ग्राम एवं श्वेतपुर के रूप में मशहूर चेचर ग्राम समूह की वर्ष 1978 में हुई खोदाई में तेरह काल खंडों के अवशेष प्राप्त हुए थे। इसकी सर्वे रिपोर्ट आर्कियोलॉजिकल रिव्यू में प्रकाशित भी हुई थी। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा खोदाई कर यहां से हजारों अवशेष पटना संग्रहालय में ले जाए गए। 13 कालखंडों का दबा है इतिहास
यहां हुई खोदाई में नवपाषाण काल, ताम्र पाषाण काल, कुषाणकाल, गुप्तकाल सहित 13 कालखंडों के ऐतिहासिक साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। ऐरो हेड, हेलन की मूर्ति, पॉलिश किए मिट्टी के बर्तन, टेराकोटा, ब्लैक वेयर, बुद्ध की मूर्ति, रेड वेयर, सिक्का, पत्थर के औजार, सेल्युकस की पुत्री की मूर्ति आदि प्राप्त हुई है।
राज्य सरकार की घोषणाओं के बावजूद भी इन स्थलों का विकास नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 14 फरवरी 2013 में चेचर ग्राम समूह का दौरा किया था। उन्होंने अधिकारियों की टीम के साथ संग्रहालय भवन, खोदाई स्थल, चेचर घाट स्थित शिव मंदिर, बुद्ध मूर्ति, बाजितपुर भिडा, मधुरापुर भिडा, करहटिया स्थित सहस्त्र लिगम की मूर्ति आदि का निरीक्षण किया था। उन्होंने इन स्थलों का खोदाई कराने एवं इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित करने का आश्वासन दिया था। वहीं चेचर घाट के सामने दियारा में 200 एकड़ भूमि में टूरिज्म हब बनाने एवं पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई थी। सरकार की घोषणा के बाद विकास की उम्मीद जगी थी। इसके बाद पुरातत्व विभाग के डॉ. सत्यदेव प्रसाद की देखरेख में चेचर ग्राम समूह में दो बार खोदाई हुई। पुरातात्विक महत्व की काफी वस्तुएं प्राप्त हुईं। मुख्यमंत्री ने फिर दुबारा भी दौरा किया।
पर 2015 में विधानसभा चुनाव के बाद यहां विकास के गति रुक गई और खोदाई कार्य भी रुक गया। अभी यह पूरी तरह उपेक्षित है।
इन स्थलों के विकास के लिए अब तक कोई मास्टर प्लान नहीं बना है। केवल सरकार के द्वारा चेचर संग्राहलय का अधिग्रहण कर लिया गया है।
क्या कहते हैं पुरातत्व निदेशक
चेचर ग्राम समूह में दो बार में खोदाई हुई है। जहां खोदाई शुरू हुई वह जमीन निजी है। जब तक और लोग अपनी निजी जमीन में खोदाई की अनुमति नहीं देते तब तक वहां खोदाई करना मुश्किल है। अभी तक दो बार की खोदाई में जो वस्तुएं मिली हैं उन्हें हाजीपुर स्थित दीप नारायण सिंह संग्रहालय में रखा गया है। उत्तर बिहार में चेचर, चिरांध, मांझी आदि जिन जगहों पर खोदाई हुई है वहां से नवपाषाण काल के अवशेष मिले हैं।
अतुल वर्मा, भारतीय पुरातत्व विभाग पटना