हजारों की आस्था का केंद्र है रतनपुरा का भवानी भूइयां स्थान
वैशाली। सोनपुर रेलमंडल पर हाजीपुर-मुजफ्फरपुर रेलखंड के बिठौली एवं भगवानपुर स्टेशन के
वैशाली। सोनपुर रेलमंडल पर हाजीपुर-मुजफ्फरपुर रेलखंड के बिठौली एवं भगवानपुर स्टेशन के बीच रतनपुरा गांव में रेलवे लाइन के पूरब में अवस्थित सैकड़ों वर्ष पुराने हरे-भरे पेड़ की पहचान इस पूरे इलाके में भवानी भूइयां के रूप में है। इसकी डालियां तोड़ने पहले तो लाल रंग का तरल पदार्थ निकलता था, लेकिन अब दूध की तरह तरल पदार्थ निकलता है। लोगों का इस पेड़ के प्रति अगाध श्रद्धा किसी शक्ति पीठ से कम नहीं है।
भवानी भुइयां के नाम से प्रसिद्ध यह अद्भुत वृक्ष के बारे में पूर्वजों के द्वारा एक कहानी कही जाती है। कहते हैं कि मुगल काल में एक महिला यहां घास काट रही थी कि उसके पीछे कुछ घुड़सवार दरिदे पीछे पड़ गए। भयभीत महिला ने अपनी आबरू बचाने के लिए धरती माता को पुकारा। कहानी कहती है कि धरती दो भागों में विभक्त हो गयी। ठीक उसी जगह पर एक वृक्ष की उत्पत्ति हुई। एक रात ग्रामीणों को देवी भगवती ने स्वप्न दिया कि वह पौधे का रूप धारण कर अवतरित हुई हैं। तुम सब मिल कर मेरी सेवा करो, सारी मनोकामनाएं पूरी होगी। तब से इस वृक्ष का पूजन जारी है। यहां दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना के पूरी करने के लिए पूजा अर्चना करने आते है। प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा के अष्टमी की दोपहर से रात्रि तक इस जगह पर विशाल मेला लगता है। और दूर-दूर से देवी के भक्त अपनी अपनी मन्नत एवं मनोकामना के लिए कागज की मौरी, मड़ुआ का पिड तथा मिठाई चढ़ाते हैं। यहां पर कुश्ती प्रतियोगिता भी होती है, जिसमें दूर-दूर से पहलवान आकर दंगल में हिस्सा लेते हैं। इस पूरे क्षेत्र में भवानी भूइयां की पूजा अर्चना के बाद ही मां दुर्गा का पट खुलता है। इलाके का कोई भी व्यक्ति शादी ब्याह या कोई अन्य शुभ काम की शुरुआत करने से पहले भवानी भुइयां की पूजा करता है।
1934 में इस इलाके में भीषण हैजा का प्रकोप फैला। लगभग हर घर में बीमारी से मौत होने लगी। कहते हैं कि तब लोगों ने इस वृक्ष की पूजा अर्चना शुरू की। इसके बाद बीमारी का प्रकोप शांत हो गया। तब से लोगों का विश्वास और अधिक बढ़ गया। हाजीपुर-मुजफ्फरपुर रेललाइन का काम जब चल रहा था जब रेललाइन के ठीक बीच मे यह पेड़ पड़ रहा था। था। अंग्रेज पदाधिकारी ने मजदूरों को पेड़ काटने का आदेश दिया, लेकिन आदेश देने वाले पदाधिकारी की मौत हो गयी तथा पेड़ अपने आप रेललाइन से अलग पूरब दिशा में अवस्थित हो गया।
स्थानीय लोगों ने भवानी भूइयां विकास समिति का गठन कर रखा है और इस स्थल के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन इस स्थल पर जाने के लिए पगडंडियों का ही सहारा है। यहां सड़क, बिजली, पानी की समुचित व्यवस्था की जाय तो यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ सकती है।
इस स्थल के विकास के लिए स्थानीय लोगों ने कई बार पर्यटक विभाग को पत्र लिखा लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ है। स्थानीय मुखिया गौरीशंकर पांडेय ने रास्ता सहित इसके विकास की पहल तो शुरू की है, लेकिन जबतक सरकारी पहल शुरू नहीं होगी तब तक विकास संभव नहीं है।