जिनके लिए लगाई प्रदर्शनी, वे देखे बिना ही लौटे
धार्मिक आस्था व लोक परंपरा से अलग हटकर हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेले की एक खास पहचान किसान व पशुपालकों से जुड़ी है। प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा स्नान को सैकड़ों किसान यहां आते हैं। किसान के साथ-साथ पशुपालक भी अपनी मवेशियों के साथ मेला क्षेत्र में आते हैं।
वैशाली। धार्मिक आस्था व लोक परंपरा से अलग हटकर हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेले की एक खास पहचान किसान व पशुपालकों से जुड़ी है। प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा स्नान को सैकड़ों किसान यहां आते हैं। किसान के साथ-साथ पशुपालक भी अपनी मवेशियों के साथ मेला क्षेत्र में आते हैं। स्नान-दान के बाद कुछ दिनों तक मेला क्षेत्र में रुकने के बाद वापस अपने आशियाने को लौट जाते हैं। किसान व पशुपालकों के लिए केंद्र व राज्य की सरकारें रोड मैप तैयार कर कई तरह की योजनाएं चला रही है। उन योजनाओं पर लाखों-करोड़ों रुपये भी पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। इन योजनाओं से किसानों व पशुपालकों को जोड़ने, उसकी जानकारी देने के उद्देश्य से गांवों में भी कैंप लगाए जाते हैं लेकिन बहुत सारे किसानों को एक साथ कई तरह की जानकारियां उन कैंपों में नहीं मिल पाती। यहां हरिहरक्षेत्र मेले मे किसानों को खेतीबाड़ी के आधुनिक तकनीक की जानकारी देने व उनसे रूबरू कराने के लिए एक बड़े भू-भाग में कृषि प्रदर्शनी लगाई जाती है। लेकिन इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे कि जिस सोनपुर मेला का विधिवत रूप से बीते 12 नवंबर को भव्य आगाज हुआ, आज उसी मेला क्षेत्र न सिर्फ कृषि प्रदर्शनी आधी-अधूरी पड़ी है बल्कि कई सरकारी व गैर सरकारी प्रदर्शनियां अभी भी निर्माणाधीन हैं।
लौट गए लाखों किसान, लौट रहे पशुपालक
मेला उद्घाटन के एक सप्ताह बाद भी मेला क्षेत्र में निर्माणाधीन सरकारी व गैर सरकारी प्रदर्शनियों को देखकर यह कहना मुश्किल हो रहा है कि मेला का उद्घाटन एक सप्ताह पहले हो चुका है या फिर एक सप्ताह बाद होना है। जिन किसानों को खेतीबाड़ी के आधुनिक तौर तरीकों से अवगत कराने, आधुनिक यंत्रों की जानकारी देने के लिए लाखों रुपये खर्च कर कृषि प्रदर्शनी लगाई जा रही है, उस प्रदर्शनी को देखे बगैर ही लाखों किसान अपने घर को वापस लौट गए।