सनातन धर्म की रक्षा के लिए ही श्रीराम ने लिया था अवतार : आचार्य
श्री रामनवमी आदर्शों के आधार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के इस धरती पर अवतरित होने का
सुपौल। श्री रामनवमी आदर्शों के आधार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के इस धरती पर अवतरित होने का पुण्य दिवस है। शास्त्र एवं संहिता ग्रंथ व रामचरित मानस के ग्रंथानुसार चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी को मध्याह्न बेला में पुनर्वसु नक्षत्र के योग में जब चंद्रिका, चंद्रमा और बृहस्पति एकत्र थे व पंचीग्रह अपनी उच्चावस्था में थे तथा सूर्य मेष राशि में एवं लग्न कर्क राशि में थे तब परमब्रह्म सच्चिदानंद परमपिता परमेश्वर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने चैती नवरात्र के पावन अवसर पर श्रीराम के महात्म्य बताते हुए कहा कि इस बार 21 अप्रैल को रामनवमी का पर्व मनाया जाएगा। इसलिए इस दिन राहु, केतु, शनि, वृहस्पति आदि ग्रहों से ग्रसित भक्त अगर निष्ठापूर्वक व्रतानुष्ठान, जप एवं मर्यादा पुरुषोत्तम राम की पूजा-अर्चना करें तो उनके कष्ट दूर होंगे। साथ ही निष्ठापूर्वक पूजा-अर्चना करने से भक्तों को सभी तरह के मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी। इसलिए रामनवमी का पर्व देश के कोने-कोने में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य भगवान श्री राम की परम पावन लीलाओं का सुमिरन करना और उनके आदर्श चरित्र का चितन- मनन करना है तथा उनके द्वारा निर्देशित एवं स्थापित आदर्शों के अनुरूप अपने आप को ढालने का सचेतक प्रयास व पुरुषार्थ करना है। क्योंकि वर्तमान समय में मर्यादाहीनता एवं नैतिक अवमूल्यन के क्षणों में इसकी जरूरत सर्वोपरि है। भगवान श्रीराम ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए ही इस पृथ्वी पर अवतार लिया और राक्षस राज रावण का अंत कर सनातन धर्म के धर्मप्रेमियों की रक्षा की, जो कोई भी जीव उनकी आदर्श मर्यादा लीला उनके पूज्य चरित्र का श्रद्धापूर्वक गान, श्रवण, और अनुकरण करता है। वह पवित्र हृदय होकर परम सुख एवं शांति को प्राप्त कर सकता है। श्रीराम के समान आदर्श पुरुष धर्मात्मा, नरपति, आदर्श मित्र, आदर्श भाई, पुत्र, आदर्श गुरु, शिष्य, पति, स्वामी, आदर्श सेवक, वीर, दयालु ,आदर्श, शरणागत, वत्सल, आदर्श संयमी, और कौन हो सकता है। संपूर्ण जगत के इतिहास में श्रीराम की तुलना में एक श्रीराम ही है। इसलिए इस दिन जो कोई व्यक्ति दिनभर उपवास व रात्रि में जागरण का व्रत रखकर भगवान राम की पूजा करता है तथा अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान पुण्य करता है वह अनेक जन्मों के पापों को भस्म करने में समर्थ होता है। साथ ही कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए आचार्य ने श्रद्धालुओं से अपील की कि इस बार घर में रहकर श्रीराम की पूजा-अर्चना करें। घर से बाहर किसी भी तरह का आयोजन नहीं करें।