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संसाधनविहीन व्यवस्था बच्चियों को नहीं ला पाती स्कूल

सुपौल। मौसम का असर था या फिर स्कूल की संसाधनविहीन व्यवस्था का असर गुरुवार की सुबह 11 बजे प

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 06:19 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 06:19 PM (IST)
संसाधनविहीन व्यवस्था बच्चियों को नहीं ला पाती स्कूल
संसाधनविहीन व्यवस्था बच्चियों को नहीं ला पाती स्कूल

सुपौल। मौसम का असर था या फिर स्कूल की संसाधनविहीन व्यवस्था का असर गुरुवार की सुबह 11 बजे प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय पिपरा में पांच छात्रा ही उपस्थित थीं। उन्हें एक शिक्षक कक्षा में पढ़ा रहे थे। 14 शिक्षक वाले इस विद्यालय में तीन शिक्षक कार्यालय में बैठे थे, शेष धूप सेंक रहे थे।

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विद्यालय की तस्वीर कैमरे में कैद करते ही एक शिक्षक ने आकर जानकारी दी कि सर, ठंड के कारण बच्चियों की उपस्थिति कम है अन्यथा अच्छी-खासी उपस्थिति रहती है। विद्यालय में विषयवार शिक्षकों की कमी बता रही थी कि बच्चियां विद्यालय क्यों नहीं आना चाहती होंगी या आती होंगी तो कौन उन्हें शिक्षा देते होंगे। संसाधनों का अभाव भी स्कूल में स्पष्ट दिख रहा था। शिक्षकों ने जानकारी दी कि पिछले साल का रिजल्ट भी अच्छा हुआ था।

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संसाधनों और शिक्षकों का है अभाव

इस विद्यालय में माध्यमिक की कक्षाओं के लिए चार कमरे हैं। 268 बच्ची नामांकित हैं। नौ शिक्षकों का सृजित पद है लेकिन आठ ही पदस्थापित हैं। अंग्रेजी पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं। यह पद वर्षों से खाली है लिहाजा स्कूल आनेवाली बच्चियों को बाहर ही अंग्रेजी की शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती है। रही बात उच्च माध्यमिक की तो इसका हाल तो और बुरा है। इसमें तो कई विषय के शिक्षक नहीं हैं। उच्च माध्यमिक के लिए चार कमरे हैं। इसके लिए बना भवन जर्जर होने के कगार पर पहुंच चुका है। इसमें पढ़ने वाले बच्चियों की संख्या 294 है। इन्हें संगीत, हिदी, इतिहास, जंतु विज्ञान, गृह विज्ञान की शिक्षा देने के लिए शिक्षक तो हैं परंतु भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, अंग्रेजी, भूगोल, राजनीति शास्त्र और दर्शन शास्त्र पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं। कंप्यूटर शिक्षक रहने का फायदा इनको नहीं मिल पाता। वह इसलिए कि विद्यालय में एक भी कंप्यूटर सेट नहीं है। विद्यालय में चार शौचालय है जिसमें से एक जर्जर स्थिति में है। पुस्तकालय और कॉमन रूम नहीं रहना भी छात्राओं की सुविधा को कम कर देता है। शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं रहने से चापाकल का पानी पीना मजबूरी है।

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कहते हैं प्रधानाध्यापक

प्रधानाध्यापक रविद्र प्रसाद ने बताया माध्यमिक में 268 तथा प्लस टू में 294 छात्रा नामांकित हैं। माध्यमिक में 09 शिक्षक में से 08 शिक्षक हैं। अंग्रेजी के शिक्षक का पद वर्षों से खाली पड़ा है। उच्च माध्यमिक में भी शिक्षकों की काफी कमी है। इसके लिए विभाग से पत्राचार किया गया है। इधर जुगाड़ कर वर्ग संचालन कराया जाता है।


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