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41 वर्षों में सरकारी सहायता के नाम पर नहीं मिली फूटी कौड़ी

सुपौल। उच्च शिक्षा व्यवस्था बहाल करने के मामले में तो कोसी का सुपौल जिला निचले पायदान पर है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 05:56 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 05:56 PM (IST)
41 वर्षों में सरकारी सहायता के नाम पर नहीं मिली फूटी कौड़ी
41 वर्षों में सरकारी सहायता के नाम पर नहीं मिली फूटी कौड़ी

सुपौल। उच्च शिक्षा व्यवस्था बहाल करने के मामले में तो कोसी का सुपौल जिला निचले पायदान पर है। लाखों की आबादी वाले इस जिले में उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए महज तीन सरकारी महाविद्यालय हैं। कई डिग्री महाविद्यालय ऐसे हैं जो वर्षो से वित्त रहित का दंश झेलने को मजबूर हैं। इसमें कार्यरत कर्मी भूखे पेट शिक्षा दान कर रहे हैं।

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इन्हीं में से एक है जिला मुख्यालय स्थित डिग्री महाविद्यालय गौरवगढ़ सुपौल जो पिछले करीब 41 वर्षों से छात्रों को उच्च शिक्षा दे रहा है परंतु सरकारी सहायता के नाम पर फूटी कौड़ी तक प्राप्त नहीं होती है। शुक्रवार को बदहाल शिक्षा व्यवस्था अभियान के माध्यम के तहत जब जागरण की टीम महाविद्यालय का हाल जानने पहुंची तो महाविद्यालय का हाल सरकार की उपेक्षा की कहानी का बयां कर रहा था।

दोपहर 12 बजे का समय था। कार्यालय खुला हुआ था कुछ छात्र-छात्राएं स्नातक प्रथम खंड का फॉर्म भर रहे थे। शिक्षक समेत अन्य कर्मी मौजूद थे। कई शिक्षकों ने बताया कि यहां का हाल किसी से छिपा थोड़े है। पिछले 30 वर्षों से वे लोग मुफ्त शिक्षा दान कर रहे हैं लेकिन सरकार ने कभी सुध लेने की जरूरत नहीं समझी। अब तो वे लोग चौथेपन में प्रवेश करने वाले हैं। अब किसी से क्या अपेक्षा अभी तक तो करीब एक दर्जन बिना वेतन पाए सेवानिवृत्त हो चुके हैं। आधा दर्जन कर्मियों की मौत हो चुकी है। 05 वर्ष के दौरान तो आधे से अधिक की सेवानिवृत्ति हो जाएगी। कार्यालय कक्ष में बैठे महाविद्यालय के प्राचार्य भूपेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि यहां जो कुछ भी देख रहे हैं, वह महाविद्यालय विकास निधि से बनाया हुआ है। आज तक सरकार की ओर से कुछ भी सहायता नहीं मिली है। बताया कि यहां इंटर से लेकर डिग्री तक की पढ़ाई की जाती है। वर्तमान शैक्षणिक सत्र में इंटर के तीनों संकाय कला विज्ञान तथा वाणिज्य के कुल 818 छात्राएं नामांकित हैं जबकि डिग्री में 1676 नामांकित हैं। हालांकि इन दोनों कक्षाओं के लिए 96 शिक्षक हैं। छात्रों के लिहाज से फिलहाल शिक्षकों की कमी नहीं है लेकिन सरकार का रवैया उपेक्षापूर्ण है। बताया कि दो शौचालय है दोनों जर्जर स्थिति में है। शुद्ध पेयजल के नाम पर एक चापाकल है। बताया कि फिलहाल वर्ग कक्ष के लिए 13 कमरे हैं जो नामांकित छात्र-छात्राओं के लिहाज से पूर्ण है। इसके अलावा तीन प्रयोगशाला और ऑफिस के लिए तीन कमरे भी हैं। कुछ दिन पूर्व ही महाविद्यालय विकास कोष से चहारदीवारी का निर्माण कराया गया है। सुसज्जित लैब के अलावा पुस्तकालय भी मौजूद है। हालांकि महाविद्यालय में बेंच डेक्स की कमी है जिसे किसी तरह आने वाले दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। प्राचार्य ने बताया कि यहां नियमित रूप से कक्षा भी संचालित की जाती है परंतु सरकार की उपेक्षा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में यहां बाधक बन रही है बावजूद इसके बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का भरसक प्रयास किया जाता है।


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