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डिजिटल दुनिया से कदमताल कर रही 'मुनिया'

सुपौल। मुनिया! यह शब्द सुनते ही गांव की भोली सी बिटिया का चेहरा सामने आता है। गुड़िया सर

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 05:45 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 05:45 PM (IST)
डिजिटल दुनिया से कदमताल कर रही 'मुनिया'

सुपौल। मुनिया! यह शब्द सुनते ही गांव की भोली सी बिटिया का चेहरा सामने आता है। गुड़िया सरीखी। आंगन में चहकती.. थोड़ा सकुचाती..। पर सरकारी योजनाओं का असर कहें या फिर अभिभावकों की मानसिकता में बदलाव अब 'मुनिया' की दुनिया की बदल गई है। वह चौखट से बाहर निकलकर डिजिटल दुनिया से कदमताल करने लगी है।

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बाजार में मेडिकल की दुकान चला रहे हैं अविनाश चौधरी बताते हैं कि जब से उनकी बेटी ने कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त की है तब से वह दुकान चलाने में सहायता कर रही है। अब कंप्यूटर बिल देने में या हिसाब-किताब रखने में किसी अन्य का सहारा नहीं लेना पड़ता है। यह तमाम कार्य उनकी बेटी कर लेती है। निर्मली बाजार में साइबर कैफे चला रही बबीता कुमारी बताती हैं कि सरकार द्वारा संचालित कुशल युवा कार्यक्रम ने उनके जीवन को एक नई दिशा दे दी है। ससुराल में रोजगार का कोई रास्ता नहीं था। सरकार द्वारा संचालित कौशल विकास केंद्र के माध्यम से कंप्यूटर की शिक्षा ली और आज वह साइबर कैफे चला रही है। इससे कम से कम परिवार का भरण-पोषण आसानी से हो रहा है।

अभिभावकों के अनुसार प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र और कुशल युवा कार्यक्रम गांव की बेटियों के लिए वरदान बनकर सामने आया है। इन दोनों केंद्रों पर निश्शुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया जाता है वहीं प्रखंड और गांव स्तर पर केंद्र के संचालन से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा काफी आसानी से उपलब्ध हो जाती है। परिणाम है कि आज ऐसी लड़कियां कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त कर स्वावलंबन की ओर कदम बढ़ा चुकी हैं। इसमें से कई ने तो सरकारी नौकरी भी पा लिया है तो कुछ व्यवसाय के रूप में इसे अपना लिया है। जिला निबंधन एवं परामर्श केंद्र की मानें तो पांच वर्षों के दौरान जिले के करीब 16934 लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। इसमें लड़कियों की संख्या लगभग 40 प्रतिशत है। इनमें से अधिकतर लड़कियां ग्रामीण क्षेत्र की हैं।


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