लॉकडाउन का उड़ाया जा रहा मजाक, बढ़ रहा संक्रमण
सुपौल। देश कोरोना संक्रमण से कराह रहा है। संक्रमण की चपेट में आकर प्रतिदिन सैकड़ों
सुपौल। देश कोरोना संक्रमण से कराह रहा है। संक्रमण की चपेट में आकर प्रतिदिन सैकड़ों लोग अपनी-अपनी जान गंवा रहे हैं। जाने अनजाने संक्रमित दूसरों को भी संक्रमण बांट रहे हैं। नतीजा है कि संक्रमितों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। संक्रमण पर अंकुश लगाने तथा संक्रमण के चेन को तोड़ने के लिए ही लॉकडाउन पर लॉकडाउन की घोषणा होती चली आ रही है। कभी केंद्र सरकार तो कभी राज्य सरकार और कभी जिला प्रशासन द्वारा भी लॉकडाउन की घोषणा की जाती रही है। बावजूद संक्रमण कम होने का नाम नहीं ले रहा। लॉकडाउन को लेकर सरकार की मंशा थी कि इस दौरान लोग घरों में रहेंगे, सोशल डिस्टेंसिग का पालन करेंगे, एक-दूसरे के संपर्क में नहीं आएंगे तो संक्रमण का चेन टूटेगा। कितु ऐसा होता नहीं दिख रहा। संक्रमण विस्फोट के बावजूद लोग इसे हल्के में ले रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिग का पालन नहीं कर रहे हैं और खुद ब खुद संक्रमण को न्योता दे रहे हैं। स्थानीय प्रशासन भी इस दिशा में कुछ उदासीन दिख रहा है। नतीजा है कि लॉकडाउन की परिधि से अलग रखी गई दुकानों के अलावे अन्य दुकानें भी बाजारों में धड़ल्ले से खुल रही है ।फुटपाथ पर कारोबार हो रहा है। गाड़ियों की बेरोकटोक आवाजाही हो रही है। ऐसे में तो लॉकडाउन का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता है।
जिला मुख्यालय में लॉकडाउन को प्रभावी बनाने हेतु दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी एवं सशस्त्र बल की प्रतिनियुक्ति की गई है। इसके अलावा जिला मुख्यालय में लॉकडाउन के दौरान गश्ती को लेकर गश्ती दल दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी एवं सशस्त्र बल की भी प्रतिनियुक्ति की गई है। बावजूद लोग मानने को तैयार नहीं और संक्रमण विस्फोट की ओर बढ़ रहा है। इससे बचाव का एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंसिग बताया जा रहा है, कितु लोग इसे भी दरकिनार कर रहे हैं। नजारा जिले के बाजारों और सड़कों पर देखा जा सकता है। सरकार द्वारा 31 जुलाई तक के लिए घोषित लॉकडाउन के दौरान बुधवार को भी बाजार में चहल-पहल दिखी। ऐसा लग रहा था मानो लॉकडाउन या संक्रमण से लोगों को कोई लेना देना नहीं । बढ़ रहे संक्रमण से बेखौफ लोग बाजार में चहल कदमी और खरीदारी करते दिखे। फुटपाथ पर बाजार सजा हुआ दिखा। गाड़ियों की आवाजाही भी सड़कों पर बढ़ी दिखी। शायद इस ओर देखने की प्रशासन को फुर्सत तक नहीं। लॉकडाउन का असर जिले के अन्य प्रखंडों में भी दिखाई नहीं दे रहा है। आम दिनों की तरह ही प्रखंडों में दुकानें खुल रही हैं और कारोबार चल रहा है। लॉकडाउन के मद्देनजर दिए गए सरकारी फरमान का पालन होता तो कहीं दिख ही नहीं रहा। एक ओर संक्रमण विस्फोट की ओर बढ़ रहा है तो वही दूसरी ओर लॉक डाउन का मजाक उड़ाया जा रहा है। ऐसे में कैसे तोड़ा जा सकेगा संक्रमण का चेन और कैसे संक्रमित होने से बच सकेंगे लोग?