प्रत्याशी से लेकर स्वजन तक करने लगे समाजसेवा
संवाद सूत्र छातापुर (सुपौल) छातापुर प्रखंड में 8 अक्टूबर को निर्धारित तीसरे चरण के पं
संवाद सूत्र, छातापुर (सुपौल): छातापुर प्रखंड में 8 अक्टूबर को निर्धारित तीसरे चरण के पंचायत आम निर्वाचन को ले चुनावी सरगर्मी काफी तेज हो गई है। चुनाव लड़ने वाले भावी उम्मीदवार मतदाताओं से मिलने-जुलने से लेकर डिजिटल मीडिया के माध्यम से भी अपनी बात लोगों तक पहुंचाते हुए प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। पंचायत चुनाव के दौरान डिजिटल प्लेटफार्म पर होनेवाला चुनाव प्रचार-प्रसार इस बार काफी देखने को मिल रहा है। उम्मीदवारों के समर्थक घर-घर जाकर लोगों को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं। कोई प्रत्याशी आम जनता से सेवा का संकल्प तो कोई पंचायत के विकास का वादा करने में जुटे हैं। चुनाव की डुगडुगी बजते ही इन भावी प्रत्याशियों के अलावा इनके स्वजन भी जी-जान से समाजसेवा में जुट गए हैं। कल तक पद का दंभ भरने वाले निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधि भी अब लोगों से प्रेम की भाषा बोलते नजर आ रहे हैं। उनके बीच मामा, मामी, बाबा, चाचा, चाची, मौसी जैसे संबोधन का प्रयोग कर वोटरों का आशीर्वाद लेने की होड़ लगनी शुरू हो गई है। कई जगह भावी प्रत्याशी निवर्तमान प्रतिनिधियों की नाकामी गिनाते हुए पंचायत का विकास नहीं करने व जात-पात के नाम पर भेदभाव करने तक का आरोप- प्रत्यारोप लगाने से भी पीछे नहीं हट रहे है। गौरतलब है कि छातापुर प्रखंड के लिए राज्य चुनाव आयोग द्वारा तीसरे चरण के अंतर्गत आगामी 8 अक्टूबर को मतदान की तिथि निर्धारित की गई है। विभिन्न पदों के लिए नामांकन पर्चा भरने का कार्य 16 सितंबर से प्रारंभ हो जाएगा। बहरहाल चाय-पान की दुकानों से लेकर हाट-बाजारों में भी लोगों के मुंह से पंचायत चुनाव की ही चर्चा सुनने को मिल रही है। जबसे सीटों का आरक्षण तय हुआ है तभी से चुनाव लड़ने का मूड बनाए लोग अपना गुणा-भाग लगाना शुरू कर दिए हैं कि किस जगह से उन्हें आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है। चुनाव लड़ने की मंशा पाले ये प्रत्याशी अभी से ही लोगों के बीच अपनी मजबूत दावेदारी देने लगे है। दूसरी ओर निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधि अपने पूर्व के कार्यों को गिनाने व नए वादे करने में जुटे हैं। हालांकि इस दौरान कई लोगों को जनता की खड़ी- खोटी भी सुनने को मिल रही है। उन्हें आचार संहिता का हवाला देकर बाद में काम कराने का भरोसा दिया जा रहा है। प्रत्याशियों की बढ़ती सक्रियता को देख मतदाता भी विकास के नाम पर गोलबंद होने लगे है।