शांति ही आदर्श मानव जीवन की है पहचान
बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में उपलब्धियों के आधार पर माह जनवरी 2020 के लिए जिलों की रैंकिग निर्धारित की गई है। बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी ने बुधवार को बिहार के 3
सुपौल। सदर प्रखंड अंतर्गत अमहा पंचायत स्थित पंचदधीची उच्च विद्यालय आंनद पल्ली अमहा के परिसर में आंनद मार्ग प्रचारक संघ के तत्वाधान में तीन दिवसीय सेमिनार का शुक्रवार को उद्घाटन संस्था के केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य सत्यश्रयानन्द अवधूत व अन्य सन्यासियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। सेमिनार में उपस्थित साधक-साधिकाओं को संबोधित करते हुए केंद्रीय प्रशिक्षक ने कहा कि व्यक्तिगत एवं सामूहिक जीवन में शांति ही आदर्श मानव की पहचान है। आध्यात्मिक अनुशीलन एवं कुसंस्कारों के विरुद्ध संग्राम से ही शांति संभव है। आदर्श मानव समाज के तीन विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि प्रथमत: मनुष्य की जरूरतों एवं मन की बात को समझकर समाज के विधि-निषेधों को बनाना आवश्यक है। मनुष्य का दैहिक,मानसिक और आध्यात्मिक विकास हो सके उसका ध्यान रखना द्वितीय विशेषता है। सत्य को ग्रहण कर दिखावे वाले मान्यताओं भावजड़ता, अंधविश्वास को नहीं मानना यह आदर्श समाज व्यवस्था की तृतीय विशेषता है। सामाजिक एकता की प्रतिष्ठा सामाजिक सुरक्षा और शांति मन की सभ्यव्यस्था आदर्श समाज व्यवस्था के मौलिक बिदु हैं। सामाजिक एकता के लिए साधारण आदर्श जाति भेद हीन समाज सामूहिक समाज उत्सव एवं चरम दंड प्रथा का न होना एक आवश्यक पहलू है। सुविचार एवं श्रृंखला बोध या अनुशासन से ही सामाजिक सुरक्षा संभव है। आध्यात्मिक अनुशीलन एवं कुसंस्कारों के विरुद्ध संग्राम से ही शांति पाई जा सकती है। नीति यम-नियम है। मानव जीवन का मूल आधार धर्म साधना माध्यम और दिव्य जीवन लक्ष्य है। आचार्य ने कहा कि उपरोक्त सभी तत्व आनंद मार्ग समाज व्यवस्था में मौजूद है। इस अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में गुरु स्कार्ष पांचजन्य, योगाभ्यास एवं सामूहिक साधना का आयोजन किया गया। मौके पर आचार्य रणधीर देव, आचार्य धनंजयानन्द अवधूत, आचार्य जगदात्मानन्द अवधूत, आचार्य राजेशानंद अवधूत, आचार्य कृपानंद अवधूत, आचार्य गोविदानन्द अवधूत, आचार्य ब्रजदतानन्द अवधूत, आनंद अणिमा आचार्या, आनंद पियुसा आचार्या, आंनद कल्यान्मया आचार्या एवं जनरल भुक्ति प्रधान बोधराम जी, रामनारायण सहित सैकड़ों अनुयायी मौजूद थे।