एक निर्धारित समय सीमा के भीतर सेवानिवृत्ति भी जरूरी : रवि रंजन
विद्या की देवी मां शारदे की पूजा-अर्चना को अब एक दिन ही शेष रह गए हैं। पूजा-अर्चना को ले बाजारों में भी चहल-पहल बढ़ गई है। बच्चे पूजा की तैयारी में जुट गए हैं। मूर्तिकारों ने मां शारदे की प्रतिमा को रंग भर कर अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। जिले में मां शारदे की पूजा-अर्चना धूमधाम से की जाती है। पूजा-अर्चना को ले मां शारदे की मूर्ति मूर्तिकार बनाते हैं और बच्चे मूर्तिकारों से मूर्ति खरीद कर मां शारदे की पूजा-अर्चना करते हैं।
सुपौल। 31 जनवरी 2020 को अपने पद से सेवानिवृत्त होने वाले जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुभाष चंद्र के सम्मान में मंगलवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें जिला एवं सत्र न्यायाधीश को पाग, चादर व फूल-माला से सम्मानित किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय रवि रंजन मिश्र ने कहा कि प्रशासनिक व्यवस्था के तहत सभी सरकारी नौकरी करने वाले लोगों को एक निश्चित समय सीमा के अंदर सेवानिवृत्त होना होता है। परंतु किसी के द्वारा किया गया कार्य कभी सेवानिवृत्त नहीं होता। इन्हीं में से एक हैं जिला एवं सत्र न्यायाधीश। जिन्होंने एक छोटी अवधि के बावजूद कई ऐसे कार्य किए जो निश्चित ही याद किए जाते रहेंगे। कहा कि एक प्रशासक के रूप में जितना गुण होना चाहिए वह सभी इनमें मौजूद है। सभी को मिलाकर चलना और समय-समय पर सभी को उनके कर्तव्य बोध का याद दिलाना इनकी आदत में शामिल था। हम सबके लिए यह गौरव की बात है कि ऐसे अभिभावक के सानिध्य में काम करने का मौका मिला। जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कहा एक छोटी अवधि के दौरान उन्हें जो बन पड़ा उन्होंने किया। एक टीम भावना के साथ सभी ने उनका सहयोग किया। इस मौके पर प्रधान न्यायधीश परिवार न्यायालय मु. साहब अख्तर, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम अशोक कुमार सिंह, एडीजे द्वितीय इसरार अहमद, एडीजे तृतीय रवि रंजन मिश्र, एडीजे चतुर्थ नवीन कुमार ठाकुर, एडीजे पंचम कमलेश चंद्र मिश्र, एडीजे षष्टम पाठक आलोक कौशिक, एडीजे सप्तम संजय कुमार, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव प्रदीप कुमार चौधरी, अवर न्यायधीश षष्टम ज्योति कश्यप, अनुमंडलीय न्यायिक दंडाधिकारी प्रहलाद कुमार समेत अन्य न्यायिक पदाधिकारी, न्यायालय कर्मी, रिटेनर अधिवक्ता समेत अन्य लोग उपस्थित थे।