कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तुलापट्टी में दंगल का आयोजन
पहले जब मनोरंजन के साधन कम थे और उनका विकास नहीं हुआ था तब नाटक के माध्यम से ही लोग मनोरंजन किया करते थे। गांव की चौपालों पर नाट्य कला परिषदों की धमक होती थी। गांव के लोग इकट्ठे होते थे और होता था तरह-तरह के नाटकों का मंचन। कभी नाटक के माध्यम से राजा हरिश्चन्द्र की कहानी से लोगों को अवगत कराया जाता था। तो कभी नाटक के माध्यम से लैला-मजनू सोनी महिवाल हीर-रांझा शीरी-फरहाद के किस्से का चित्रण होता था।
सुपौल। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पिपरा प्रखंड के तुलापट्टी में आयोजित मेला में दो दिवसीय कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न जिला के पहलवानों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता का उद्घाटन पूर्व सांसद सह भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विश्वमोहन कुमार ने किया। इस मौके पर पूर्व सांसद ने कहा कि कुश्ती एक प्रकार का द्वंद युद्ध है जो बिना किसी सहायता से केवल शारीरिक बल के सहारे लड़ा जाता है। कुश्ती पूरी दुनिया में खेले जाने वाले प्रमुख खेलों में से एक है। शत्रुता निवारण के इस द्वंद युद्ध ने विशुद्ध व्यायाम और खेल की कला से परिचित व्यक्ति कम शक्ति वाला होकर भी अधिक शक्तिशाली व्यक्ति पर विजय प्राप्त कर सकता है। कुश्ती से न केवल शरीर बनता है बल्कि मानसिक विकास के साथ आत्मविश्वास बढ़ता है। उन्होंने कहा कि खेल में हार-जीत का कोई महत्व नहीं होता है बल्कि खेलों में सौहार्द का समावेश होना चाहिए। उन्होंने कुश्ती के चार दांव बताते हुए कहा कि यह खेल हमारी पुरातन परम्परा और संस्कृति से जुड़ा हुआ खेल है। वहीं मुखिया लक्ष्मीकांत भारती ने कहा कि कुश्ती हमारी परंपरा में शामिल है। इस खेल के माध्यम से परंपरा को जिदा रखने के लिये पहलवानों को प्रोत्साहन की आवश्यकता है। कहा कि वर्तमान समय में पढ़ाई के साथ खेल भी जरूरी है। पहले के समय में कुश्ती लोग सेहत के लिये लड़ते थे अब यह खेल उद्योग का रूप ले लिया है। प्रतियोगिता के पहले दिन विवेक पहलवान मोराखाप ने रोशन पहलवान जीतवाह को, भीम पहलवान भतरंधा ने विनोद पहलवान खोनहा को, राजकुमार पहलवान भतरंधा ने किशन पहलवान मोरा कब्याही को पटकनी दी। जबकि छोटू पहलवान भतरंधा व सोनू पहलवान बेहरारी के बीच व भीम पहलवान भतरंधा व सनोज पहलवान मोराखाप के बीच बराबरी का मुकाबला रहा। कार्यक्रम को सफल बनाने में महादेव मंडल, दयानंद चौधरी, विरेन्द्र पासवान, ललित कुमार, अंकु कुमार, मंटून कुमार, नवीन कुमार, दिनेश खतरी का सराहनीय योगदान रहा। मौके पर अतुल कुमार, परमेश्वरी मंडल, जागेश्वर मंडल, नागों मंडल, हरिलाल मंडल, सुरेन्द्र मंडल, विष्णुदेव मंडल, पवन ठाकुर, लाल साह आदि मौजूद थे