स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड सुलभ होने से दूर हुई छात्रों की परेशानी
रमजान माह को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों के घरों में इबादत का दौर जारी है। सोमवार की शाम छातापुर व सरायगढ़ में दावते इफ्तार का आयोजन किया गया। छातापुर संवाददाता के अनुसार भाजयुमो जिला महामंत्री संजीव कुमार भगत की ओर से अपने आवासीय परिसर में दावते इफ्तार का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में रोजेदारों ने शिरकत की। मुख्यालय पंचायत के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने साम्प्रदायिक सौहार्द व भाईचारे की मिसाल पेश की।
सुपौल। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना में शामिल आर्थिक हल-युवाओं को बल कार्यक्रम के तहत उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आर्थिक मददगार के रूप में सहायक स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना छात्र-छात्राओं के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है। अब योजना के प्रति छात्रों का झुकाव इस तरह होने लगा है कि सरकार द्वारा निर्धारित वार्षिक लक्ष्य भी पीछे छूट जा रहा है। दरअसल सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए यह ड्रीम योजना चालू की थी। जिसका मकसद था कि कोई भी छात्र-छात्रा आर्थिक विपन्नता के कारण उच्च शिक्षा ग्रहण करने से वंचित न रह जाए। इसके लिए सरकार ने जिला मुख्यालयों में जिला निबंधन एवं परामर्श केंद्र खोल रखी है। जिसके माध्यम से छात्र-छात्रा पढ़ाई के लिए आर्थिक रूप से मदद प्राप्त कर सकते हैं। योजना के शुरुआती काल में तो इसकी गति काफी धीमी रही। जिसका मुख्य कारण था बैंकों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलना। लेकिन सरकार ने जब इस योजना को बैंक से हटाकर बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम से जोड़ दिया तब से यह योजना ने काफी तेजी पकड़ ली है। अब तो आवेदन के 1 माह के अंदर ही छात्रों को आर्थिक मदद मिल जा रही है। इसी का नतीजा है कि शैक्षणिक सत्र 2018-19 में सरकार ने इस योजना के लिए जिले को जितना लक्ष्य निर्धारित किया था उससे कहीं अधिक छात्रों को इस योजना का लाभ दिया गया।
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गत वित्तीय वर्ष में लक्ष्य ही पड़ गया छोटा
वित्तीय वर्ष 2018-19 में इस योजना के तहत जिले को 790 स्टूडेंट को लाभ देने का लक्ष्य अख्तियार किया गया था। जिसके एवज में 910 छात्रों को यह लाभ दिया गया। जिला निबंधन एवं परामर्श केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2018-19 के लिए निर्धारित किए गए लक्ष्य से अधिक 910 छात्रों का आवेदन स्वीकृत किया गया। जिसके तहत 19 करोड़ 2 लाख 88 हजार 130 रुपये की राशि की स्वीकृति दी गई। जिसके बदले वित्तीय वर्ष के अंत तक 786 बच्चों को क्रेडिट राशि 5 करोड़ 96 लाख 95 हजार 328 रुपए खाते में अंतरित कर दिया गया।
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चालू शैक्षणिक सत्र में 1185 का रखा गया है लक्ष्य
चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में 1185 छात्रों को ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य जिले को दिया गया है। जिसमें अप्रैल माह में 26 तथा मई माह में 37 छात्रों को लाभ दिया जाना था। जिसके एवज में अभी तक 46 लाख 61 हजार 539 रुपये की राशि के लिए 286 छात्रों के आवेदनों को स्वीकृति दी जा चुकी है। स्वीकृत किए गए आवेदन में से अभी तक 143 छात्रों को 90 लाख 79 हजार 851 रुपये की राशि खाते में भेजी जा चुकी है। जो लक्ष्य से लगभग 5 गुना अधिक है। ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह योजना छात्रों को काफी भा रही है।
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अब छात्रों को नहीं उठानी पड़ती आर्थिक परेशानी
अक्सर छात्रों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण वे अपने बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं दे पाते थे। सरकार ने इसी बातों को ध्यान में रखते 2 अक्टूबर 2016 को सभी जिले में योजना लागू कर दी। डीआरसीसी की स्थापना की। परंतु योजना के शुरुआती दौर में छात्रों को ऋण प्राप्त करने के लिए बैंकों का सहारा लेना पड़ता था। बैंकों के टाल-मटोल रवैये के कारण योजना को सरजमीन पर गति नहीं मिल पा रही थी। फिर सरकार ने यह कार्य बैंकों से हटाकर 25 जुलाई 2018 को बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम के जिम्मे सौंप दिया। जिसके बाद योजना ने काफी गति पकड़ी और आज स्थिति ऐसी बनी है कि निर्धारित लक्ष्य से कई गुना अधिक छात्र इनका लाभ प्राप्त कर रहे हैं।