सेविका-सहायिका के प्रति उदासीन है सरकार
सुपौल : आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने सहित 15 सूत्री मांगों
सुपौल : आंगनबाड़ी सेविका-
सहायिका को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने सहित 15 सूत्री मांगों के समर्थन में गुरुवार को बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति सुपौल के बैनर तले सेविका-सहायिका ने समाहरणालय के समक्ष धरना देकर अपनी मांगों को बुलंद किया। धरना से पूर्व सेविका-सहायिका अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाते हुए बाजार भ्रमण किया और तत्पश्चात जुलूस के शक्ल में नारे लगाती समाहरणालय पहुंची और धरने पर बैठ गई। धरना को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार सेविका-सहायिका के साथ उपेक्षापूर्ण नीति अख्तियार किए हुए हैं। आंगनबाड़ी केंद्र से लेकर विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों में सेविका -
सहायिका की भागीदारी रहती है। स्वास्थ्य विभाग की कई योजनाओं का संचालन उन लोगों के भरोसे ही हो रहा है। बावजूद सरकार सेविका - सहायिका के प्रति उदासीन बनी हुई है। सेविका-सहायिका को काम के बदले जो मानदेय दिया जा रहा है वह नीति और न्याय संगत नहीं है। इतने कम मानदेय पर सेविका-सहायिका का गुजारा होना संभव नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि सेविका-सहायिका को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देते हुए उन्हें समायोजित किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं जब तक सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता तब तक सेविका को 18000 एवं सहायिका को 12000 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलना चाहिए। साथ ही अन्य राज्यों की तरह सरकार सेविका को 7000 व सहायिका को 4500 रुपये अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दे। वक्ताओं ने कहा कि आंगनवाड़ी के निजीकरण की साजिश भी चल रही है। जीविका, गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूह, कारपोरेशन को आंगनवाड़ी सौंपे जाने की साजिश हो रही है। इसका सेविका-सहायिका पूर्णरूपेण विरोध करेगी। धरना उपरांत 15 सूत्री मांगों का एक ज्ञापन जिलाधिकारी को समर्पित किया गया। धरना में बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति शाखा सुपौल की जिलाध्यक्ष बीबी शहनाज परवीन, राज्य अध्यक्ष सोनी कुमारी, मंजू अरुण, डॉ. देवनारायण मंडल सहित सैकड़ों की तादाद में सेविका-सहायिका मौजूद थी।
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-ज्ञापन की मुख्य मांगे
-आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए
-54 दिन के हड़ताल उपरांत 16 मई 2017 को हुए समझौते के आलोक में लंबित मांगों का शीघ्र निष्पादन किया जाए
-सेविकाओं को पर्यवेक्षिका एवं सहायिकाओं को सेविका के पद पर शत-प्रतिशत पदों पर प्रोन्नति दी जाए तथा उम्र सीमा समाप्त किया जाए
-सेवानिवृत्ति के पश्चात 5000 रुपये मासिक पेंशन या एकमुश्त 5 लाख रुपये सहायता राशि एवं बीमा का लाभ सुनिश्चित किया जाए
-आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका के चयन मार्गदर्शिका एवं दंडनिरूपण की प्रक्रिया को सरल बनाया जाय
-चार घंटे से अधिक काम के लिए मजबूर ना किया जाए, समान काम के लिए समान वेतन प्रणाली लागू किया जाए तथा मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों की सेविकाओं को भी समान मानदेय दिया जाए
-हड़ताल अवधि का मानदेय न काटकर छुट्टी एवं कार्य में समायोजन किया जाए