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हौसला बुलंद हो तो सीमित संसाधनों में भी होगा बेहतर प्रदर्शन : डॉ. फारूक

विश्वविद्यालय में खेल का माहौल बना है और हमारी राष्ट्रीय पहचान बन रही है। उक्त बातें प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली ने कही। वे अनूप लाल यादव महाविद्यालय में आयोजित पुरुष-महिला कुश्ती प्रतियोगिता के उद्घाटन पश्चात बोल रहे थे। प्रति कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय खेल के प्रति सजग है। खेल से भाईचारा बढ़ता है। बीएनएमयू के विद्यार्थियों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 05:58 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 05:58 PM (IST)
हौसला बुलंद हो तो सीमित संसाधनों 
में भी होगा बेहतर प्रदर्शन : डॉ. फारूक
हौसला बुलंद हो तो सीमित संसाधनों में भी होगा बेहतर प्रदर्शन : डॉ. फारूक

सुपौल। विश्वविद्यालय में खेल का माहौल बना है और हमारी राष्ट्रीय पहचान बन रही है। उक्त बातें प्रतिकुलपति डॉ. फारूक अली ने कही। वे अनूपलाल यादव महाविद्यालय में आयोजित पुरुष-महिला कुश्ती प्रतियोगिता के उद्घाटन पश्चात बोल रहे थे। प्रतिकुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय खेल के प्रति सजग है। खेल से भाईचारा बढ़ता है। बीएनएमयू के विद्यार्थियों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हमारे विद्यार्थी हर क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सक्षम हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन अपने विद्यार्थियों को यथासंभव सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु प्रयासरत है। विद्यार्थियों की आवश्यक-आवश्यकताओं को उनके मांगने के पूर्व ही पूरा करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों से अपील किया कि वे विश्वविद्यालय के समग्र विकास हेतु कृतसंकल्पित हो। सब मिलकर बीएनएमयू में नया इतिहास लिखें। प्रति कुलपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास है। सिर्फ डिग्री लेना शिक्षा नहीं है। यह सिर्फ लिखने-पढने एवं गणना करने की क्षमता प्राप्त करने से नहीं होता है। इसके लिए विद्यार्थियों के जीवन के सभी पहलुओं का विकास अपेक्षित है। हमारे विद्यार्थी सिर्फ ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि खेलकूद सहित सभी क्षेत्रों में आगे बढें। साथ ही उनका नैतिक एवं चारित्रिक विकास भी हो। वे कठिनाईयों से घबड़ाएं नहीं, उनका डटकर मुकाबला करें।

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उन्होंने कहा कि विद्यार्थी कक्षा के साथ-साथ खेल-मैदान में भी आएं। जीत-हार उसी की होती है जो खेलता है। बाहर बैठकर देखने वाला व्यक्ति खिलाड़ी के दर्द को नहीं समझ सकता है। यदि हौसला बुलंद हो तो सीमित संसाधनों के बावजूद बेहतर प्रदर्शन किया जा सकता है। प्रति कुलपति ने कहा कि बीएनएमयू पर छाया घना कोहरा धीरे-धीरे हट रहा है। विभिन्न खेलों के चारों ओर घिरे कोहरों को भी हटाया जा रहा है। आखिरी पायदान पर उपेक्षित पड़े सिसक रहे खेलों को आगे लाने का प्रयास किया जा रहा है। आने वाले दिनों में विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रतिभागी टीमों की संख्या बढेगी। अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं में टीमें भेजी जाएंगी। प्रति कुलपति ने कहा कि कुश्ती एक ग्रामीण खेल है। इसे कम लागत में भी आयोजित किया जा सकता है।

खेल सचिव डॉ. अबुल फजल ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन खेलों के विकास हेतु प्रतिबद्ध है। खेल प्रतियोगिता में ज्यादा से ज्यादा महाविद्यालय भाग लें। हमारे विद्यार्थी खेलों में भी अपनी प्रतिभा दिखाएं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. जयदेव प्रसाद यादव ने कहा कि बीएनएमयू सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है। खेल में भी नई उर्जा एवं नई शक्ति मिली है। इसी की बानगी है कार्यक्रम में हजारों की संख्या में पुरूष एवं महिला दर्शक उपस्थित हुए। यहां खेल की सभी सुविधाएं मौजूद हैं। खिलाड़ियों के हर सुविधा का ख्याल रखा जा रहा है। इसके पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम का संचालन चंदन सिंह चौहान ने किया। इस अवसर पर सह सचिव डॉ. शंकर कुमार मिश्र, पीआरओ डॉ. सुधांशु शेखर, महाविद्यालय के सचिव कपिलेश्वर यादव, अरूण कुमार, अशोक कुमार, सजन कुमार संत, मुखिया जद्दु यादव, रामधारी प्रसाद यादव, मिश्री लाल यादव, परमेश्वरी यादव, विजेन्द्र यादव, प्रदीप प्रकाश, सुदीप नारायण, छात्र नेता डेविड यादव आदि उपस्थित थे।


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