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महाष्टमी पर श्रद्धालुओं ने की महागौरी की पूजा-अर्चना

संवाद सूत्र करजाईन बाजार (सुपौल) दुर्गा अष्टमी के मौके पर बुधवार को सुबह से ही माता के म

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 11:28 PM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 11:28 PM (IST)
महाष्टमी पर श्रद्धालुओं ने की महागौरी की पूजा-अर्चना
महाष्टमी पर श्रद्धालुओं ने की महागौरी की पूजा-अर्चना

संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल): दुर्गा अष्टमी के मौके पर बुधवार को सुबह से ही माता के मंदिरों में भक्तों के आगवन शुरू हो गए। श्रद्धालु माता जगदम्बा का दर्शन एवं पूजन के लिए मंदिरों में पहुंचे। क्षेत्र के करजाईन बा•ार, रतनपुर पुरानी बाजार, रतनपुर नया बाजार, परमानंदपुर, साहेवान, मोतीपुर, गोसपुर, हरिराहा आदि जगहों पर स्थित दुर्गा मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रही। वहीं करजाईन दुर्गा मंदिर में आचार्य पंडित धर्मेन्द्रनाथ मिश्र एवं रतनपुर पुरानी बा•ार में पंडित अजय मिश्र सहित अन्य मंदिरों में विद्धतजन पूर्ण वैदिक रीति-रिवाज से माता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना में जुटे रहे। विद्धानों के श्लोकों व दुर्गा सप्तशती के पाठ से माहौल पूरी तरह भक्तिमय बना गया है। साथ ही करजाईन दुर्गा मंदिर में यजमान के रूप में पैक्स अध्यक्ष विदेश्वर मरीक स्वजनों के साथ निष्ठा से जुटे रहे। माता की निराली महिमा हर किसी को रिझा रहा है। हर कोई माता के भक्ति रस में सराबोर है। माता दुर्गा सहित अन्य देवी-देवताओं के पूजन के बाद श्रद्धालू कन्या पूजन में भी जुटे हुए हैं। देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्र के अंत में कन्या पूजन का महत्व है। इसके बिना नवरात्र व्रत अधूरा माना जाता है। वहीं क्षेत्र के दुर्गा पूजा समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि कोरोना संक्रमण एवं आचार संहिता को देखते हुए सरकारी एवं प्रशासनिक दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन किया जा रहा है। किसी भी तरह का आयोजन से परहेज किया गया है।

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सिद्धिदात्री की पूजा से होती है सिद्धियों की प्राप्ति

जगत जननी जगदम्बा आदि शक्ति श्री दुर्गा का नवम रूपांतर श्री सिद्धिदात्री है। ये समस्त प्रकार की सिद्धियों की दाता है। इसीलिए ये सिद्धिदात्री कहलाती हैं। नवरात्र के नवम दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस बारे में आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि श्री सिद्धिदात्री की विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधकों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए असंभव नहीं रह जाता है। ब्रह्माण्ड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की साम‌र्थ्य व शक्ति उसमें आ जाती है। आचार्य ने बताया कि इनकी आराधना के दौरान साधक को अपना चित्त निर्वाण चक्र (मध्य कपाल) में स्थिर करके साधना करनी चाहिए। श्री सिद्धिदात्री की आराधना से निर्वाण चक्र जागृत होने की सिद्धियां साधक को प्राप्त होती है।


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