उम्मीदें: उम्मीदों की डोर पकड़े चल रही है स्वास्थ्य सेवा
की चिर परिचित उम्मीद यानि अस्पतालों में चिकित्सक व कर्मियों की घोर कमी की पूर्ति दूर-दूर तक होते नहीं दिखाई पड़ रही है
ब्रह्मानन्द सिंह, सुपौल : प्राकृतिक प्रकोप के चलते पिछड़े जिले की श्रेणी में खड़े सुपौल की लगभग 25 लाख की आबादी स्वास्थ्य के क्षेत्र में उम्मीद की डोर पकड़े आज भी चल रही है। सरकार की योजना के तहत इस वर्ष 33 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का जहां शुभारंभ होगा वहीं एएनएम व जीएनएम स्कूल की शुआत हो जाएगी। आयुष्मान भारत योजना के तहत लोगों को इलाज में होने वाले अधिक व्यय से राहत मिलेगी। हालांकि यहां के लोगों को तो बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था की उम्मीद में सालोंसाल गुजरता जा रहा है। आधुनिक सोच के तहत बड़े-बड़े भवन बना दिए गए हैं। भवन देख सुपौल का सदर अस्पताल किसी मेडिकल कॉलेज से कम नहीं दिखता। लेकिन व्यवस्था किसी रेफरल अस्पताल से अधिक नहीं होती। चिकित्सक व कर्मियों की कमी से यह जिला वर्षों से जूझ रहा है। नतीजा है न तो सदर अस्पताल में सभी विभाग के डाक्टर होते हैं न विशेषज्ञ। बस स्वास्थ्य सेवा की औपचारिकता पूरी होती है। इतना ही नहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत है कि होमियोपैथ व यूनानी चिकित्सक लिखते हैं अंग्रेजी की दवा। इस जिले के अस्पतालों में चिकित्सक व कर्मी की कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां नियमित चिकित्सक, संविदा वाले चिकित्सक व आयुष चिकित्सक के 348 पद हैं। लेकिन इसके विरूद्ध मात्र 116 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। यानी 232 पद खाली पड़ा है। इसी तरह विभिन्न कर्मियों के 1652 पद हैं जिसके विरूद्ध मात्र 754 कर्मी ही कार्यरत हैं। यानी 898 पद खाली है। बड़ी संख्या में चिकित्सक व कर्मी की कमी का नतीजा है कि यहां के लोगों को संतोषप्रद स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पा रही है।
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ब्लड बैंक को ले प्रक्रिया शुरु
वर्ष 2020 में सुपौल वासियों को ब्लड बैंक की सौगात मिलने की उम्मीद है। जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में ब्लड बैंक के स्थापना की प्रक्रिया शुरु हो गई है। मालूम हो कि सुपौल में ब्लड बैंक के नहीं रहने के चलते लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जरूरत पड़ने पर अक्सर लोगों को ब्लड मुंहमांगे कीमतों पर खरीदनी पड़ती है। वैसे सदर अस्पताल भवन के उपरी तल्ले पर ब्लड स्टोरेज यूनिट है। लेकिन इस यूनिट से मरीजों को कई खास सहूलियत नहीं मिल पाती है। फिलहाल सदर अस्पताल के जिस भाग में ओपीडी चलता है उसी भाग में ब्लड बैंक की स्थापना की जाएगी। मानक के अनुरूप ब्लड बैंक के निर्माण के लिए एक कंपनी को टेंडर भी दिया गया है।
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सदर अस्पताल के और बनेंगे भवन
सदर अस्पताल भवन का नौ ब्लॉक के निर्माण की योजना है। जिसमें से छह ब्लॉक पूर्व से बनकर तैयार है और उसमें अस्पताल संचालित है। वहीं 7 करोड़ 83 लाख की लागत से भवन का तीन ब्लॉक का ग्राउंड फ्लोर व फर्स्ट फ्लोर बनकर तैयार है। वहीं इस ब्लॉक के सेकेण्ड फ्लोर व थर्ड फ्लोर का टेंडर इसी साल होने की पूरी उम्मीद है। सदर अस्पताल के सभी ब्लॉक के बन जाने के बाद मरीजों की बढ़ती भीड़ में कमी आएगी और लोगों को काफी सहूलियत होगी।
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जीएनएम व एएनएम स्कूल बनकर है तैयार
इस साल सदर प्रखंड के सुखपुर गांव में निर्मित जीएनएम स्कूल व वीरपुर में एएनएम स्कूल पढ़ाई शुरु हो जाने की उम्मीद है। मालूम हो कि सुखपुर में 11 करोड़ 23 लाख की लागत से जीएनएम स्कूल व वीरपुर में 6 करोड़ 42 लाख की लागत से एएनएम स्कूल का निर्माण करवाया जा रहा है। इस स्कूल के प्रारंभ हो जाने से ए ग्रेड नर्स व एएनम की चाहत रखने वाली छात्राओं को बाहर नहीं जाना पड़ेगा। जीएनएम स्कूल में एक सत्र में 150 छात्राओं एवं एएनएम स्कूल में एक सत्र में 60 छात्राओं का नामांकन होगा।
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33 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का होगा संचालन
आयुष्मान भारत योजना के तहत सुपौल जिले में इस साल विभिन्न अस्पतालों में 33 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर कार्यरत हो जाएगा। इस हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को चिकित्सा की दिशा में काफी सहूलियत होगी और इलाज के लिए बड़े अस्पतालों की दौड़ लगाने से निजात मिलेगी। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में कई प्रकार की अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। इस सेंटर में मातृ स्वास्थ्य देखभाल, परामर्श एवं सामान्य प्रसव की सेवाएं, नवजात एवं शिशु स्वास्थ्य संबंधित सेवाएं, बाल्यावस्था एवं किशोर स्वास्थ्य परामर्श एवं सेवाएं, परिवार नियोजन परामर्श एवं गर्भ निरोधक सेवाएं, राष्ट्रीय कार्यक्रमों के अनुसार संचारी रोगों का प्रबंधन, संचारी रोग, बाह्यरोगी विभाग संबंधी सेवाएं, गैर संचारी रोगों की खोज, जांच एवं टीबी, कुष्ठ रोगों के सामान्य प्रबंधन की व्यवस्था होगी। इतना ही नहीं यहां 12 तरह की जांच सुविधा होगी।