धान अधिप्राप्ति: 15 नवंबर से होनी थी खरीदारी, अब तक शुरू नहीं हुई तैयारी
नौकरी मामले में आज देश मंदी के दौर से गुजर रहा है। निजी सेक्टरों में काम कर रहे करीब नब्बे लाख लोगों की नौकरी चली गई है। बिहार में विकास की स्थिति निराशाजनक बनी हुई है। नीतीश सरकार दबाव में काम करने को मजबूर है। सरकार की स्थिति ऐसी है कि वे चाहकर भी बलात्कार हत्या डकैती जैसे जघन्य अपराध पर लगाम नहीं लगा पा रही है। उक्त बातें कांग्रेस नेत्री सह पूर्व सांसद रंजीत रंजन ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान कही।
जागरण संवाददाता, सुपौल : 15 नवंबर से राज्य सरकार ने सरकारी स्तर पर धान खरीद शुरू करने की घोषणा की थी। परन्तु पैक्स चुनाव होने के कारण किसानों का धान खरीद तो दूर, कहीं इसके लिए तैयारी तक नहीं दिख रही है। जिले में कहीं भी एक छटाक धान की खरीद नहीं हुई है। उधर, किसान तैयार धान के उचित मूल्य पर बिक्री के लिए दर-दर भटक रहे हैं। किसानों को उम्मीद थी कि 15 नवंबर से धान की खरीद शुरू होगी तथा उनके खेतों से उत्पादित धान की बिक्री सही मूल्य पर हो सकेगी। ऐसा नहीं होने से किसान निराश हैं। दूसरी तरफ सरकार के इस हवा हवाई घोषणा का लाभ उठाने को बिचौलिए और साहुकार तत्पर हो गए हैं। एक रणनीति के तहत साहुकार वैसे जरूरतमंद किसानों के यहां दस्तक दे रहे हैं जिनके घर हाल के दिनों में शादी विवाह की तिथि निर्धारित है। वैसे किसानों को एक तरफ पैसे की दरकार है तो दूसरी तरफ खेत में तैयार धान के रख रखाव की भी समस्या बनी है।
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नहीं हुआ तैयार रणनीति पर काम
धान अधिप्राप्ति से बेखबर विभाग चुनाव की तैयारी में जुटा हुआ है। उन्हें तनिक भी नहीं इस बात की फिक्र है कि आखिर किसानों को उनके उत्पादन का सही मूल्य कैसे मिलेगा। जिले में न ही किसी क्रय एजेंसी को चिह्नित किया गया है और ना ही उसके धन की व्यवस्था की गई है। ऐसी स्थिति में फिलहाल धान की अधिप्राप्ति संभव होना नहीं दिखता है।