लोक शिकायत निवारण के क्रियान्वयन में प्रथम स्थान पर आया सुपौल
नौकरी मामले में आज देश मंदी के दौर से गुजर रहा है। निजी सेक्टरों में काम कर रहे करीब नब्बे लाख लोगों की नौकरी चली गई है। बिहार में विकास की स्थिति निराशाजनक बनी हुई है। नीतीश सरकार दबाव में काम करने को मजबूर है। सरकार की स्थिति ऐसी है कि वे चाहकर भी बलात्कार हत्या डकैती जैसे जघन्य अपराध पर लगाम नहीं लगा पा रही है। उक्त बातें कांग्रेस नेत्री सह पूर्व सांसद रंजीत रंजन ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान कही।
जागरण संवाददाता, सुपौल: बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में उपलब्धियों के आधार पर राज्य के सभी 38 जिलों की रैंकिग निर्धारित की गई है। निर्धारित मापदंडों एवं जिलों के कार्य निष्पादन के आधार पर बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसायटी द्वारा माह अक्टूबर 2019 के लिए जिलावार रैंकिग निर्धारित की गई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने जिला पदाधिकारी को पत्र लिखकर रैकिग निर्धारित करते हुए सुपौल जिला को प्रथम रैंकिग स्थान दिया है जबकि सहरसा का रैंकिग 21 व मधेपुरा का 22 है। सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा जिलावार रैंकिग निर्धारण में कुल प्राप्तांक 100 अंक में सुपौल जिला को सबसे अधिक अंक 85.16 दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा नियत समय सीमा में निष्पादित परिवाद का प्रतिशत 81.02, नियत समय में निर्धारित मामलों का प्रतिशत 95.86, नियत समय सीमा के बाहर निष्पादित मामलों का प्रतिशत 4.14 रहा जबकि सुनवाई के दौरान लोक प्राधिकार की उपस्थिति 95.71 है तथा नियत समय में निष्पादित प्रथम अपील का प्रतिशत 92.19 एवं नियत समय में निष्पादित द्वितीय अपील का प्रतिशत 90.97 है। नियत समय में निष्पादित परिवाद में दस अंक में 8.10, नियत समय सीमा में निर्धारित मामलों के कुल 30 अंक में सुपौल जिला को 28.76, अनुपालन के पांच अंक में पांच अंक, लोक प्राधिकार की उपस्थिति के दस अंक में सुपौल को 9.57, नियत समय में निष्पादित के दस अंक में सुपौल जिला को 9.22 अंक प्राप्त हुआ। जबकि नियत समय में निष्पादित द्वितीय अपील के दस अंक में सुपौल जिला को 9.10 एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए दस अंक में 10 अंक, जिला स्तर पर बैठक की कार्यवाही अपलोड के कुल पांच अंक में सुपौल को पांव अंक प्राप्त हुआ। कुल 100 के प्राप्तांक में सुपौल जिला 85.16 अंक लाकर रैकिग में प्रथम स्थान प्राप्त किया।