कथा रूपी सागर में भक्तों को कराया गया भाव-विभोर
जिले के किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने को लेकर कृषि विभाग गंभीर बना हुआ है। इसकी रोकथाम को लेकर विभाग ने एक ऐप तैयार किया है। जिस ऐप के माध्यम से खेतों की निगरानी की जाएगी तथा खेतों में पराली जलाने वाले किसानों को चिन्हित कर उन्हें कृषि से संबंधित सभी योजनाओं से एक साल के लिए वंचित रखा जाएगा। जानकारी देते हुए जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार झा ने बताया कि खेतों में अवशेष जलाए जाने से न सिर्फ खेत की उर्वराशक्ति समाप्त होती है। बल्कि इसका कुप्रभाव वातावरण पर भी पड़ता है।
संवाद सूत्र, लौकहा बाजार(सुपौल): सदर प्रखंड के अमहा वार्ड नंबर 05 स्थित पंचायत भवन परिसर में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के द्वारा तीन दिवसीय श्रीरामचरित मानस पाठ सह गीता ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन सत्संग कथा के अवसर पर सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य एवं शिष्या साध्वी सुश्री सुनीता भारती जी के द्वारा कथा रूपी सागर में भक्तों को स्नान कराया गया। उन्होंने कहा कि मानव जीवन कर्मो की ख्याति है, जो जैसा करता है वैसा ही पाता है। गोस्वामी तुलसी दास जी कहते हैं कि कर्म प्रधान विश्वकरी राखा जो जस करही तस फल चाखा। अर्थात जो जैसा करता है वैसा ही पाता है। परंतु मानव जन्म कर्मो के फल को भोगने नहीं, बल्कि काटने के लिए मिला है। अपने सारे बुरे और अच्छे सभी कर्मो को समाप्त करना है। जब तक हमारे सारे कर्म खत्म नहीं होंगे हम अपने किये कर्मों को भोगने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे और यही हमें सुख और दुख प्राप्त करता है। अच्छे कर्म सुख और बुरे कर्म दुख देता है। अब जंजीर सोने की हो या लोहे की दोनों तो बांधेगी ही। उसी प्रकार अच्छे कर्म करें या बुरे दोनों बंधेगे ही, इसलिए हमें वो कर्म करना है जो उन दोनों को काट दे। कथा को आगे बढ़ाते हुए स्वामी कपिलदेवानंद ने कहा कि रामचरित मानस में भक्तों की कथा भरी पड़ी है। चाहे केवट हो सबरी हो, जटायु या कोई अन्य सबने भक्ति की ईश्वर की। परंतु कैसे फूल-माला पाठ आदि के द्वारा नहीं की। सुख शांति आती है और जीवन का उद्देश्य पूरा हो जाता है।