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दिव्य ज्ञान जागृति संस्थान के तत्वाधान में तीन दिवसीय मानस पाठ का आयोजन

9 नवंबर 19 तीन दिवसयी मानस पाठ आयोजित

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 07:10 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 06:26 AM (IST)
दिव्य ज्ञान जागृति संस्थान के तत्वाधान में तीन दिवसीय मानस पाठ का आयोजन
दिव्य ज्ञान जागृति संस्थान के तत्वाधान में तीन दिवसीय मानस पाठ का आयोजन

संवाद सूत्र, लौकहा बाजार (सुपौल): सदर प्रखंड अन्तर्गत अमहा गांव वार्ड नंबर 05 स्थित पंचायत भवन परिसर में शनिवार से दिव्य ज्ञान जागृति संस्थान के तत्वाधान में तीन दिवसीय श्रीरामचरित मानस पाठ एवं गीता विवेचना का आयोजन किया गया है। इस पावन मौके पर आशुतोष महाराज की शिष्या सुनीता भारती जी ने कहा कि हमारे जितने भी धर्म-ग्रंथ, शास्त्र हैं उसमें सर्व सुलभ सहर्ष रूप में सामान्य जन मानस में दो ही ग्रन्थ अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिसे सामान्य जन इसका पठन-पाठन अनेक शुभ अवसर पर करते हैं। ये दोनों ग्रन्थ हमें जीवन जीने की कला समाज की सुव्यवस्था संबंधों की पवित्रता व्यक्ति की मर्यादा प्रदान करती है। परंतु तब जब इसका अध्ययन किसी संत किसी सदगुरू के सानिध्य में किया जाए। गोस्वामी तुलसी दास भी कहते हैं इस रामचरित मानस के गूढार्थ को जानने के लिए। संतों का सानिध्य आवश्यक है। ऐसा नहीं करने के कारण हमें रामचरित मानस गीता तो हो गई है। परंतु जीवन में उतर नहीं पाये जैसे हारमोनियम संगीत के दुकान पर उपलब्ध हो सकती है। परंतु उसे बजाने की कला किसी संगीतज्ञ के सानिध्य में ही प्राप्त हो सकती है। उसी प्रकार देवदुर्लभ मनुष्य तन तो हमें प्राप्त हो चुका है। परंतु इस मानव तन में मानवता का प्रकटीकरण सत्संग सदगुरु का सानिध्य में ही प्रदान करता है। आगे कथा को स्वामी कपिलदेवानंद जी ने कहा कि सुख-दुख जीवन में आते-जाते रहते हैं। परंतु इस सुख-दुख में सकारात्मक होकर जिसे आ जाता है। वहीं अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। कथा के माध्यम से बताया कि रामचरित मानस के सात काण्ड है। जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को प्ररेणा प्रदान करते हैं। इसमें कहा गया कि प्रभु का अवतरण कहीं बाहरी जगत में नहीं अपितु प्रेत्यक व्यक्ति के भीतर ब्रह्म ज्ञान के द्वारा पूर्ण संत महात्माओं की कृपा से होता है। श्रीराम एवं श्रीकृष्ण का जन्म व उनकी लीलाएं दोनों दिव्य है। प्रभु जो सृष्टि के प्रत्येक कण-कण में रमण कर रहे हैं। जो प्रत्येक जीव का प्राणधार हैं। ऐसे परमात्मा को ज्ञान यज्ञ व भगवत भजन के द्वारा जान सकता है। अमहा के संपूर्ण ग्रामीणों का सहयोग प्राप्त है।

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