कोसी नव निर्माण मंच के स्थापना दिवस पर दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न
दिवाली का समय हो घर में लक्ष्मी के आगमन की तैयारी चल रही हो भला उनके स्वागत में घर की साफ-सफाई कौन नहीं करना चाहेगा लिहाजा दिवाली को लेकर घरों में सफाई और रंगाई-पुताई का काम सभी करवाते हैं। ऐसे में माता-पिता घर की सफाई और सजावट में व्यस्त हैं तो बच्चे भी कहां चूकने वाले वे घरौंदा बनाने व सजाने में मशगूल रहते हैं।
जागरण संवाददाता, सुपौल: कोसी नव निर्माण मंच के स्थापना दिवस पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में ऐतिहासिक रूप से अन्याय और वादाखिलाफी के भुक्तभोगी कोसीवासियों को संगठित कर व्यापक जन आंदोलन खड़ा करने का संकल्प लिया। मंच ने फरवरी में गांधी मैदान में कोसी महापंचायत आयोजित करने का एलान भी किया।
बैरिया मंच के मुंगरार घाट पर आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन वयोवृद्ध सर्वोदयी अवध नारायण ने किया। वक्ताओं ने सम्बोधित करते हुए कोसी समस्या के विभिन्न आयामों पर विस्तार से बताते हुए पीड़ा को बताया।
पर्यावरणविद रंजीव कुमार ने कहा कि कोई भी नदी शोक नहीं होती है पर बिहार और केंद्र की सरकार ने कोसी को शोक बना दिया। लोगों के साथ दशकों से ऐतिहासिक अन्याय हुआ तटबन्ध के भीतर के लोगों के वादे सरकार भूल गई। कोसी विकास प्राधिकरण की संस्तुतियों को लागू करना तो दूर उसे बिना भंग किए ही छोड़ दिया गया।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से काशी से आये वल्लभाचार्य ने कोसी और काशी की लड़ाई में एकजुटता जताते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश में 5 हेक्टेयर तक किसी किसान को लगान व सेस नहीं लगता है। फिर तटबन्ध के बीच के किसानों से जिन्हें जमीन की बर्बादी के बाद क्षति मिलनी चाहिए उनको लगान व बिना सुविधाओं का सेस लिया जाता है। मालिकाना की दलील को खारिज करते हुए कहा कि फिर अन्य राज्यों में कैसे मालिकाना मिला है। अमरनाथ झा ने कोसी बाढ़ की त्रासदी व अन्य आयामों पर बातें की। वहीं रूपेश कुमार व विनोद कुमार ने कोसी त्रासदी के अलग अलग आयामों पर प्रकाश डाला। स्वागत करते हुए हरिनंदन प्रसाद ने विकास के नाम पर भेदभाव के कारण मुंगरार घाट पर पुल नही बनने के सवालों को उठाया। नेपाल से आये प्रतिनिधियों ने कहा कि दोनों देश की सरकारें दोनों देश की कोसी की जनता के साथ वादाखिलाफी करती है। अपनी विफलता को दूसरों पर मढ़ती है बाढ़ पर ही कहा जाता है कि नेपाल ने पानी छोड़ा जबकि वह बाढ़ होती है। नेपाली प्रतिनधि मंडल में देव नारायण यादव, प्रो ललित, भवानी प्रसाद, श्रवण चौधरी, सुखदेव ने संबोधित किया। आयोजन में प्रमुख रूप से संदीप कुमार, इंद्र नारायण सिंह, मु. अब्बास, रामचन्द्र, महेन्द्र यादव, राजू खान, मनोरमा, पूनम, सोनेलाल टुड्डू, भुवनेश्वर यादव, बिजेन्द्र आदि मौजूद थे।