वीर लोरिक की कर्मभूमि के कारण हरदी का स्वर्णिम बन चुका इतिहास : डीएम
छापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। छापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। छापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। छापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। अछापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। छापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। छापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। छापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। छापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। छापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। अछापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। छापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। छापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे। छापामारी दल का नेतृत्व थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार खुद कर रहे थे।
संवाद सूत्र, लौकहा बाजार, सुपौल: लोरिक विचार मंच और बीबीसी ट्रस्ट के सौजन्य से सदर प्रखंड अंतर्गत पंचायत भवन चौघारा परिसर में गुरुवार को वीर लोरिक उत्सव 2019 का आयोजन किया गया। जिसका विधिवत उद्घाटन जिलाधिकारी महेन्द्र कुमार के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए डीएम ने कहा कि हरदी का इतिहास प्राचीन काल से गौरवशाली रहा है। वीर लोरिक के कर्मभूमि के कारण यहां का इतिहास और स्वर्णिम बन चुका है। उन्होंने अपनी ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करके अखंड भारत में क्रांति और समाजवाद का बीज बो दिया। दुनियां को जिओ और जीने दो का मार्ग दिखाया। जाति और धर्म से ऊपर उठकर धरती को परिवार मानकर जाति विहीन समाज की नींव डाली। इतना ही नहीं वीर लोरिक कृष्ण की कूटनीति और राम की मर्यादा, अर्जुन की वीरता और कर्ण की दानवीरता इन सभी गुणों से परिपूर्ण थे। नारी सम्मान को प्राथमिकता देते हुए वीर लोरिक ने अपने प्रिय मित्र बेंगठा से भी युद्ध किया था। जबकि दोनों एक ही अखाड़ा के योद्धा थे। उन्होंने कहा कि वीर लोरिक मानव एकता के पक्षधर थे। संसार में वीर लोरिक एक मात्र योद्धा थे, जो कभी पराजित नहीं हुए। आज लोरिक के विरासत को संभालकर रखने की आवश्यकता है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ अमन कुमार ने कहा कि वीर लोरिक समुद्र के समान गंभीर, पर्वत के समान धैर्यवान, विष्णु के समान बलवान, चंद्रमा के समान प्रियदर्शन और पृथ्वी के समान क्षमावान योद्धा थे। वीर लोरिक दुनिया में सामाजिक क्रांति के सबसे बड़े अग्रदूत थे। वे असामाजिक तत्व, राष्ट्रविरोधी, अन्यायी को छोड़कर दुनिया को अपना परिवार मानते थे। इनका जीवन सामाजिक और आर्थिक दर्शन है। प्रदेश संरक्षक जगदीश प्रसाद यादव ने कहा कि 14 वीं. शताब्दी के पूर्व से ही वीर लोरिक व चंदा की कथा हिदी साहित्य में दर्ज है। लोरिकायन वीर और श्रृंगार रस से परिपूर्ण है। प्रदेश संरक्षक नारायण मुखिया ने कहा कि वीर लोरिक भारतवर्ष के एक बहुमुखी प्रतिभा, सर्वगुण संपन्न योद्धा का नाम है। जिसकी बड़ाई करना सूरज को दीपक दिखाना है। प्रदेश संरक्षक भगवान दत्त यादव ने कहा कि वीर लोरिक दुनियां को प्रेम का पाठ पढ़ाकर जीवन को सफल बनाने का मूल संदेश दिया है। प्रदेश मुख्य संरक्षक डॉ दयानन्द भारती ने कहा कि वीर लोरिक के विचारों को जीवित रखना पीड़ितों और शोषितों की सर्वोत्तम सेवा होगी। समाज का अहित करने वाला लोरिक का सबसे बड़ा दुश्मन था। अतिथि को बुके, शाल, पिला अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह में जयप्रकाश मंडल ,शम्भू यादव, सुधीर मिश्र, कृष्ण कुमार, फुलेन्द्र यादव, नरेश कुमार, पवन साह, स्वाति साधना, जीतन मुखिया, अरविन्द यादव, रामचंद्र राम, हरिबोल यादव, रामविलास यादव, राजेश यादव,ललित कुमार, हृदय नारायण मुखिया आदि ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।