डहरिया के मां भगवती की महिमा है अपरंपार
किशनगंज जिला के धरमगंज गांव अंतर्गत वार्ड नंबर 11 की रहने वाली प्रमिला तिवारी पिछले कुछ माह से सुपौल जिले के विभिन्न गांव में घूम-घूम कर महिलाओं को पर्यावरण सुरक्षा का पाठ पढ़ा रही है। सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड कार्यालय के कर्मचारी आवास परिसर में रहकर वह किशनपुर तथा राघोपुर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में भी पहुंचती है। सुबह 5 बजे उठना और मॉर्निंग वॉक के बाद तैयार होकर गांव के तरफ प्रस्थान कर जाना उनके दिनचर्या में देखा जा रहा है।
संवाद सूत्र, छतापुर(सुपौल): प्रखंड के डहरिया स्थित मां दुर्गा की महिमा अपरंपार है। अंग्रेजी हुकूमत के जमाने से ही यहां भव्य तरीके से माता की पूजा-अर्चना होती आ रही है। आसपास के क्षेत्र में इस मंदिर के प्रति लोगों की अटूट आस्था है। इस मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले हर भक्तों की मनोकामना माता पूर्ण करती है। यूं तो इस मंदिर में सालोंभर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। परन्तु नवरात्र के दिनों में तो यहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। इस सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में 1802 ईस्वी से ही शारदीय नवरात्र के अवसर पर प्रतिमा अधिस्थापित कर पूजा-अर्चना किये जाने की परम्परा कायम है। मंदिर के इतिहास की बात करें तो यह मंदिर पहले दूसरे जगह स्थापित था। 1931 में आये प्रलयंकारी भूकंप में ध्वस्त हो गई और जिस जगह अभी यह मंदिर अवस्थित है वहां कभी काश का जंगल हुआ करता था। समीप से ही कोसी नदी की धारा बहती थी। उन्हीं दिनों माता के अनन्य भक्त रामलाल हजारी को माता दुर्गा ने स्वप्न में दर्शन देते हुए मंदिर बनवाने की प्रेरणा दी। माता की प्रेरणा से हजारी ने सुन्दर पाण्डेय, मुरलीधर पांडेय, कमल चौधरी, सोतीलाल यादव के सहयोग से झोपड़ीनुमा मंदिर बनवाकर वहां पूजा अर्चना प्रारम्भ की। मंदिर के स्थापना काल में फूस के छोटे से घर में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना शुरू हुई थी। इसके बाद पुजारी उदित चरण हजारी ने ग्रामीणों के सहयोग से ईंट की दीवार एवं चदरा का मंदिर बनाकर पूजा-अर्चना की जाने लगी। मंदिर निर्माण को लेकर काफी लोगों ने दान भी दिए। वर्तमान में यह भव्य भवन के रूप में परिवर्तित हो गया है। यहां शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा तथा अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है। प्रतिवर्ष नवमी एवं दशमी तिथि को सैकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा माता को छाग बलि चढ़ाई जाती है। स्थानीय बुजुर्गों का मानना है कि यह मंदिर डहरिया, घिवहा, लक्ष्मीपुर, मानगंज, छातापुर समेत अन्य पंचायत के लोगों का भी श्रद्धा का केंद्र है। जो भी भक्त यहां सच्चे मन से मन्नतें मांगता है वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता। नवरात्र के मौके पर मंदिर परिसर में मेले का भी आयोजन किया जाता है जिसमें आसपास के काफी लोग पहुंचते हैं।