नमो देव्यै महादेव्यै:::::: गांव-गांव घूमकर पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ा रही प्रमीला
किशनगंज जिला के धरमगंज गांव अंतर्गत वार्ड नंबर 11 की रहने वाली प्रमिला तिवारी पिछले कुछ माह से सुपौल जिले के विभिन्न गांव में घूम-घूम कर महिलाओं को पर्यावरण सुरक्षा का पाठ पढ़ा रही है। सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड कार्यालय के कर्मचारी आवास परिसर में रहकर वह किशनपुर तथा राघोपुर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में भी पहुंचती है। सुबह 5 बजे उठना और मॉर्निंग वॉक के बाद तैयार होकर गांव के तरफ प्रस्थान कर जाना उनके दिनचर्या में देखा जा रहा है।
संवाद सूत्र, सरायगढ़(सुपौल): किशनगंज जिला के धरमगंज गांव अंतर्गत वार्ड नंबर 11 की रहने वाली प्रमिला तिवारी पिछले कुछ माह से सुपौल जिले के विभिन्न गांव में घूम-घूम कर महिलाओं को पर्यावरण सुरक्षा का पाठ पढ़ा रही है। सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड कार्यालय के कर्मचारी आवास परिसर में रहकर वह किशनपुर तथा राघोपुर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में भी पहुंचती है। सुबह 5 बजे उठना और मॉर्निंग वॉक के बाद तैयार होकर गांव के तरफ प्रस्थान कर जाना उनके दिनचर्या में देखा जा रहा है। साक्षरता आंदोलन के दौरान सामाजिक कार्यों में कदम रखने वाली प्रमिला तिवारी अब तक अपने साहसिक कार्य के लिए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों 8 सितंबर 2004 को सम्मानित हुई। उसके बाद गरीब महिलाओं के बीच सिलाई-कढ़ाई तथा थैला निर्माण का प्रशिक्षण देने पर उसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पटना में सम्मानित किया गया। फिर लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान में वह वर्ष 2016 में किशनगंज जिले में बढ़-चढ़कर काम की तो तत्कालीन जिला पदाधिकारी कटिहार पंकज दीक्षित ने उसे सम्मानित किया। 42 वर्षीय प्रमिला तिवारी अपने काम के बदौलत वर्तमान में लोहिया स्वच्छ अभियान बिहार में साधनसेवी के रूप में जगह-जगह काम कर रही है। वह महिलाओं के बीच में जहां स्वच्छ भारत मिशन के संदेश को परोसती है और फिर घर-घर शौचालय निर्माण के लिए समर्पित कर आती है। वहीं पर्यावरण सुरक्षा को लेकर लोगों में चिता भी पैदा कर रही है।
गांव में पहुंचने पर प्रमिला तिवारी सबसे पहले एक पौधा लगाती है और उसमें अगल-बगल के महिलाओं की भागीदारी भी कराती है। उसके बाद दिनभर घूम कर महिलाओं के बीच स्वयं सहायता समूह के माध्यम से रोजगार अपनाने पर्यावरण पर बढ़ता खतरा के लिए एक-एक पौधा लगाने, हर महिलाओं को शौचालय का प्रयोग करने तथा दहेज प्रथा और शराबबंदी जैसे कानून को धरातल पर शत-प्रतिशत उतारने के लिए भी महिलाओं में लामबंदी करती है।
दिन भर किए गए कार्यों का लेखा-जोखा भी रखती है और इसकी जानकारी से गांव की महिलाओं को भी अवगत कराती है। उन्होंने बताया कि वह किशनपुर प्रखंड के सभी गांव में जा चुकी है। उसी प्रकार राघोपुर प्रखंड के भी अधिकांश गांव तक वहां पहुंच कर महिलाओं के बीच में जागृति लाने का काम की है। कहती है कि उन्हें समाज में बदलाव की ललक है और इसी के चलते वह लंबे समय से लोगों के बीच में रहती रही है। अपनी उपलब्धि का एक लंबी सूची प्रस्तुत करती है और कहती है कि यह सब उनके अथक प्रयास का परिणाम है कि दिल्ली से लेकर जिले तक बार-बार सम्मान का हकदार बनी है।
उनके प्रयास ने अब गांव में भी रंग लाना शुरू कर दिया है। महादलित वर्ग के जो लोग पहले शौचालय निर्माण के प्रति गंभीर नहीं हो रहे थे अब तेज गति से शौचालय बनाने में जुटे हैं।