नमो देव्यै महा देव्यै::::::नसीमा संभाल रही कोसी क्षेत्र में हरियाली की कमान
पौल जिले के उत्तरी छोर पर अवस्थित सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के पूर्वी तथा उत्तरी कोने के पंचायत छिटही हनुमाननगर की बीवी नसीमा खातून पिछले 4 वर्षों से पर्यावरण सुरक्षा के लिए लगातार रूप से संघर्षरत रही है। अपने जीवन में पौधरोपण अभियान को प्रमुख कार्य बना रखी नसीमा दिनभर जगह-जगह घूमकर लोगों को पौधे लगाने की प्रेरणा देती है। उनके अथक प्रयास के बल आज आधे दर्जन से अधिक गांव हरियाली की ओर बढ़ रहा है।
संवाद सूत्र, सरायगढ़(सुपौल): सुपौल जिले के उत्तरी छोर पर अवस्थित सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के पूर्वी तथा उत्तरी कोने के पंचायत छिटही हनुमाननगर की बीवी नसीमा खातून पिछले 4 वर्षों से पर्यावरण सुरक्षा के लिए लगातार रूप से संघर्षरत रही है। अपने जीवन में पौधारोपण अभियान को प्रमुख कार्य बना रखी नसीमा दिनभर जगह-जगह घूमकर लोगों को पौधे लगाने की प्रेरणा देती है। उनके अथक प्रयास के बल आज आधे दर्जन से अधिक गांव हरियाली की ओर बढ़ रहा है। अपने गांव में तो उसने हरियाली ला दी है। उनके इस कार्य को देख बार-बार प्रशासनिक स्तर पर भी सराहना होती रही है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर-घर शौचालय निर्माण का कार्य प्रारंभ होने पर वह इकलौता महिला रही है जिन्होंने प्रखंड स्तर की बैठक में सबसे पहले इस कार्य को अपने हाथ में लिया। पूर्व के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने उनके इस हौसले को देख कर पदाधिकारियों की बैठक में सम्मानित किया। अल्पसंख्यक आबादी के बीच रह रही नसीमा जिस तरह से स्वच्छ भारत मिशन के कार्य को अभियान बनाकर मूर्त रूप दे दी उससे अन्य पंचायत के लोगों में भी सकारात्मक संदेश पहुंचा और देखते ही देखते अन्य पंचायत में भी शौचालय निर्माण कार्य शुरू हो गया। आज छिटही हनुमाननगर प्रखंड स्तर पर पहले नंबर पर आता है जहां पर्यावरण तथा शौचालय निर्माण की दिशा में बढ़ चढ़कर कार्य हुआ है। महिलाओं में एकजुटता पैदा करना तथा शिक्षा के प्रति जागृत करना भी उनकी दिनचर्या में शामिल है। अपने पंचायत सहित अगल-बगल के गांव में जहां भी जाती है पहले पौधे लगाने तथा शौचालय का उपयोग करने की बातें करती रहती है। महिलाओं में पर्यावरण के प्रति समर्पण का भाव बने इसके लिए वह जगह जगह बैठक भी करती रहती है। बीबी नसीमा खातून खुद अपने से भी लोगों के घर पौधा लगाती है तथा उसकी रक्षा करने का अनुरोध करती है। उनके इस पहल से महिलाओं में हरियाली का महत्व फैल रहा है। सरकार द्वारा दहेज प्रथा तथा शराबबंदी कानून लागू करने के तुरंत बाद उन्होंने उस अभियान में अपने को अगली पंक्ति में खड़ी कर दी। हर बैठक में सरकार के महत्वपूर्ण कार्यों को सामने रखने में वह दक्ष मानी जाती है। उस से प्रेरित होकर अब तक कई लोगों ने शराब का सेवन भी छोड़ दिया है। साथ ही दहेज का लोभ मन में पाले कई लोग इनकी पहल पर आदर्श शादी करने को बाध्य हुए हैं। एक महिला द्वारा सामाजिक उत्थान के कई क्षेत्रों में बढ़ चढ़कर कार्य करने पर गांव के मुस्तफा कमाल, मीनतुल्ला, यूसुफ, हाजी मौलाना शफीक, हाजी मुस्तकीम, हुसैन अंसारी, जियाउल्लाह अली, अख्तर मास्टर, बशीर, इसराइल आदि कहते हैं कि बीवी नसीमा खातून आगे के समय में कई और सराहनीय कार्य करेगी। ऐसे लोग कहते हैं कि महिलाओं में बेरोजगारी खत्म करने, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने, हर घर के लोगों को शौचालय का उपयोग करने और पर्यावरण के प्रति अति गंभीरता दिखाने वाली वह किसी भी कार्य को निर्भीक भाव से करती है। पूछने पर कहती है कि गांव की महिलाएं पर्यावरण के खतरा को समझें और उससे निजात के लिए हमेशा सचेत रहे इसको लेकर वह शिक्षित महिलाओं की टोली बनाने में लगी है। कहती है कि जब महिलाएं आगे बढ़ जाएगी तो एक साथ कई समस्याएं खत्म होने लगेगी। उनका मानना है कि अकेले पुरुषों के बल कोई भी सामाजिक आंदोलन सफल नहीं हो सकता। इसलिए पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर महिलाओं की लामबंदी जरूरी है। वह लोगों को पर्यावरण सुरक्षा के प्रति आकर्षित करने के लिए सड़कों, नहर, माइनर, पोखर आदि जगहों पर फलदार तथा कीमती वृक्ष लगवाती है। एक वृक्ष एक पुत्र के समान होता है इस नारा को भी वह खूब प्रचारित करती है।