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सात वर्षों से गायब 34 कार्यालय के लिए 14 कार्यपालक अभियंता माने गए जिम्मेवार

छातापुर प्रखंड क्षेत्र के बलुआ बाजार में स्थित दुर्गा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए असीम आस्था का प्रतीक है। इस मंदिर परिसर में अनुमानित 250 वर्षों से माता की पूजा-अर्चना हो रही है। माता की पूजा-अर्चना की शुरुआत कब और किसने की इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है। फिर भी भक्तों के आस्था का जनसैलाब यहां प्रत्येक दुर्गा पूजा में उमड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 06:34 PM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 08:21 AM (IST)
सात वर्षों से गायब 34 कार्यालय के लिए 14 कार्यपालक अभियंता माने गए जिम्मेवार
सात वर्षों से गायब 34 कार्यालय के लिए 14 कार्यपालक अभियंता माने गए जिम्मेवार

-जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने विभागीय सचिव से की कार्रवाई की अनुशंसा

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-धरातल पर अविलंब कार्यालय खोलने का कार्यपालक अभियंता को दिया आदेश

-गायब है कार्यालय लेकिन हर महीने कोषागार से वेतन के नाम पर हो रही लाखों की निकासी

-अप्रैल 2012 से अद्यतन सुपौल,वीरपुर और त्रिवेणीगंज आरडब्ल्युडी के कार्यपालक अभियंता माने गए दोषी

जागरण संवाददाता, सुपौल: सुपौल में यूं तो घोटाले के कई रंग हैं पर एक नया घोटाला जो सामने आया है उसे सुन कर आप चौंक जायेंगे। इंसान के लापता होने की सूचना तो आप सुनते होंगे पर क्या कभी आपने कार्यालय के गायब होने की खबर सुनी है? तो जानिए ये सुपौल में ही संभव हुआ है। जिले के कर्ताधर्ता साहबों ने ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यालय को ही गायब कर दिया है। जिसे ढूंढने का जिम्मा जब आरटीआई कार्यकर्ता सह भ्रष्टाचार मुक्त जागरुकता अभियान ने उठाया तो तब जाकर पता चला कि साहबों ने तो ग्रामीण कार्य विभाग के 34 कार्यालय को ही 7 साल से गायब कर दिया है। ताज्जुब की बात यह है कि इन लापता कार्यालयों से साहबों का वेतन भी कोषागार से हर माह लाखों रुपये की निकासी हो रही है। भ्रष्टाचार जागरुकता अभियान के अनिल कुमार सिंह की शिकायत पर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सुपौल अशोक कुमार झा ने अंतिम आदेश पारित कर 34 लापता कार्यालयों को जल्द से जल्द खोज कर तत्काल प्रभाव से धरातल पर लाने का निर्देश दिया है। साथ ही 7 सालों से ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यालय को गायब करने वाले दोषी 14 कार्यपालक अभियंताओं के विरुद्ध कार्रवाई करने की अनुशंसा सचिव ग्रामीण कार्य विभाग और डीएम सुपौल से की गई है।

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ये है सरकार का आदेश

दरअसल बिहार सरकार ग्रामीण कार्य विभाग ने संकल्प संख्या 4303 दिनांक 07.03.2012 के द्वारा विभाग के पुनर्गठित करते हुए जिले में 3 कार्य प्रमंडल, 11 कार्य अवर प्रमंडल और 23 कार्य प्रशाखा खोलने का निर्णय लिया ताकि ग्रामीण इलाकों में सरकार के द्वारा चल रही योजना को समय से अमलीजामा पहनाया जा सके। ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव ने सभी कार्यालयों को 1 अप्रैल 2012 से अस्तित्व में आ जाने का निर्देश देते हुए संबंधित इलाके के कोषागार से वेतन भुगतान होने का आदेश जारी किया था। लेकिन सुपौल में अधिकारियों ने इसमें भी घपला करते हुए वेतन निकासी के लिए तीन कार्य प्रमंडल तो धऱातल पर लाते हुए खोल लिया पर 11 कार्य अवर प्रमंडल तथा 23 कार्य प्रशाखा कार्यालय को धरातल पर नहीं उतार कर पॉकेट में ही 7 साल से चलाते रहे। इस दौरान दर्जनों अभियंताओं ने कोषागार से प्रत्येक माह वेतन के नाम पर लाखों रुपये की निकासी की।

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भ्रष्टाचार मुक्त जागरुकता अभियान की शिकायत 

वर्ष 2012 से ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यालय के लापता होने का तीन परिवाद जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष दायर कर इस गायब कार्यालयों को खोजने की गुहार लगाई और दोषी अभियंताओं के विरुद्ध कार्रवाई का अनुरोध किया। भ्रष्टाचार मुक्त जागरुकता अभियान के अनिल कुमार सिंह ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष साक्ष्य सहित जिले के 11 प्रखंड मुख्यालय में कार्य अवर प्रमंडल तथा 23 कार्य प्रशाखा खोलने के सरकारी निर्णय का कागजात उपलब्ध कराया। कार्य प्रशाखा कार्यालय हेतु सुपौल प्रखंड में 3, किसनपुर प्रखंड में 2, निर्मली में 1, मरौना में 2, बसंतपुर में 2, राघोपुर में 2, प्रतापगंज में 1, सरायगढ भपटियाही में 2, छातापुर में 3, त्रिवेणीगज में 3 तथा पिपरा में 2 कार्यालय खोलने का सरकारी निर्णय 2012 में लिया गया। लेकिन सुपौल में कार्यापालक अभियंता सुपौल, वीरपुर एवं त्रिवेणीगंज ने अपने अपने क्षेत्राधीन एक भी कार्य अवर प्रमंडल तथा कार्य प्रशाखा नहीं खोला। जिसके कारण आम जनताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। कार्यालय नहीं रहने के कारण ग्रामीण सड़कों की हालत दिनों दिन खराब होती गई। जिसके बाद दायर शिकायत पर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सुनवाई के बाद अंतिम आदेश पारित किया।

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क्या है कार्यपालक अभियंता की दलील 

सुनवाई के दौरान ग्रामीण कार्य प्रमंडल सुपौल, वीरपुर एवं त्रिवेणीगंज के कार्यापालक अभियंता ने लोक शिकायत के पास अपनी दलील पेश करते हुए प्रतिवेदन समर्पित किया है कि कार्यालय नहीं खुलने का मुख्य कारण पर्याप्त संख्या में भवन एवं कर्मी की कमी होना बताया। अभियंताओं ने बताया कि मौखिक रूप से कई बार प्रयास किया। लेकिन सफलता नहीं मिली। कार्यालय में पदस्थापित सहायक अभियंता, कनीय अभियंता एवं कर्मी पदस्थापित अधिसूचित क्षेत्र में आवास रखकर सुचारू रूप से कार्य की देखरेख कर रहे हैं। जिसके कारण कार्यों की गुणवत्ता एवं प्रगति पर असर नहीं पड़ रहा है।

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क्या है लोकशिकायत निवारण पदाधिकारी का आदेश   

सुपौल जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने इस मामले को लेकर दायर तीन परिवाद की सुनवाई के बाद अंतिम आदेश पारित करते हुए कहा है कि लोक प्राधिकार कार्यपालक अभियंता ग्रामीण कार्य प्रमंडल सुपौल, त्रिवेणीगंज, वीरपुर को आदेश दिया जाता है कि तत्काल प्रभाव से ग्रामीण कार्य विभाग बिहार पटना के द्वारा निर्गत पत्रों में अंतरनिहित आदेशों का पालन करते हुए अविलंब कार्यालय खोलना सुनिश्चित करें। वहीं ग्रामीण कार्य विभाग बिहार पटना के सचिव तथा जिलाधिकारी सुपौल से संबंधित दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध सम्यक कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई।

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14 कार्यपालक अभियंता है दोषी 

जिला लोकशिकायत निवारण पदाधिकारी ने अपने अंतिम आदेश में 1 अप्रैल 2012 से अद्यतन पदस्थापित कार्यपालक अभियंता को सरकार के निर्णय के बावजूद कार्यालय नहीं खोलने के मामले में दोषी माना है। जिसमें सुपौल कार्य प्रमंडल के 5, वीरपुर कार्य प्रमंडल के 4, त्रिवेणीगंज कार्य प्रमंडल के 5 सहित 14 कार्यपालक अभियंता को दोषी माना गया है।


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